Tinka Tinka Foundation Jail Radio: 'पढ़ोगे-लिखोगे बनोगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब'- ये लाइन हम सबने कहीं न कहीं बचपन में पढ़ी-सुनी होगी. मगर आज दुनिया में कई धारणाएं बदल गई हैं. अब शिक्षक सिर्फ पढ़ा-लिखा नहीं रहे, बल्कि अपनी बात को नए-नए तरीकों और माध्यमों से कैसे पेश करना है, वो भी बता रहे हैं.
आज शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) के मौके पर हम आपको 2 ऐसे शिक्षकों की कहानी बताएंगे, जो अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरह के लोगों के साथ काम करते हैं और कुछ अच्छा सिखाकर लोगों को एक बेहतर जिंदगी देने की कोशिश कर रहे हैं.
50 वर्षीय शख्स ने किया जेल रेडियो को लीड
जेल-सुधारक संस्था तिनका तिनका फाउंडेशन (Tinka Tinka Foundation) की संस्थापक दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता पढ़ाती हैं. इसी के साथ एक टीचर ऐसे हैं जो जेल में 15 साल से सजा काट रहे हैं. जेल में आने से पहले भी टीचर थे और आज भी टीचर ही हैं. शायद पढ़ाने, सीखने और सिखाने का लगन आज भी इनके अंदर मौजूद है.
सोनीपत जिला जेल में एक 50 साल के दिग्गज की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी, जिन्होंने जेल रेडियो की टीम की अगुवाई की. इनके योगदान के चलते अब तिनका जेल रेडियो तैयार है. पहचान को ध्यान में रखते हुए चलिए हमने टीचर का नाम कमल रख दिया है. कमल इस जेल में 15 साल से एक कैदी हैं. आज भी जेल के अंदर, वो लोगों की टीम बनाकर उन्हें कुछ सिखाने की कोशिश कर रहे हैं.
वर्तिका नंदा ने इनको दी अहम जिम्मेदारी
अब टीम को सिखाना है तो खुद भी सीखना पड़ेगा. मशहूर मीडिया एजुकेटर और जेल सुधारक डॉ. वर्तिका नंदा (Dr. Vartika Nanda) ने कमल को इस टीम को लीड करने का काम सौंपा. सोनीपत के जेल की बात करें तो यहां पर प्रशासन भी जेल सुधार को लेकर काफी गंभीर है. 1983 में जिला जेल सोनीपत की स्थापना हुई. 745 कैदियों की क्षमता वाले इस जेल में 1143 कैदी रहते हैं, जिनमें से 100 महिलाएं हैं.
हरियाणा जेल रेडियो (Haryana Jail Radio) 2020 में शुरू हुआ. हरियाणा के 19 जेल 3 चरणों में बांटे गए. पहले फेज़ में 3 जेल आए. जिला जेल पानीपत, जिला जेल फरीदाबाद और सेंट्रल जेल अंबाला. इसके बाद दूसरे फेज़ में 4 जेल आए. जिला जेल करनाल, जिला जेल रोहतक, जिला जेल गुरुग्राम और सेंट्रल जेल हिसार. वहीं तीसरे फेज़ में जिला जेल सोनीपत, जिला जेल जींद, जिला जेल झज्जर और जिला जेल यमुनानगर आए.
हरियाणा का पहला जेल रेडियो
हरियाणा के पहले जेल रेडियो का उद्घाटन पानीपत (Panipat) की जिला जेल में जनवरी 2020 में हुआ. उद्घाटन में कई नामी-गिरामी अफसरों और मंत्रियों ने किया शिरकत की. जेल मंत्री रंजीत सिंह और आईएएस राजीव अरोड़ा भी उद्घाटन समारोह में पहुंचे.
जेल रेडियो में ऐसे होता है काम
कैदियों का ऑडिशन, सिलेक्शन और ट्रेनिंग का काम डॉ. वर्तिका नंदा ही करती हैं. ट्रेनिंग का पूरा काम जेल के अंदर ही होता है. रेडिशो शो बनाने से लेकर उसे समाप्त करके ब्रॉडकास्ट करना. कैदियों को प्रोग्राम को प्लान करने से लेकर उसे बनाने और ब्रॉडकास्ट करने तक, एक-एक पहलू पर तिनका तिनका फाउंडेशन अपनी जान लगा देता है.
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के दौरान जेल रेडियो ने कैदियों की काफी मदद की थी. उनकी बोरियत और उनके जहन में आने वाले नकारात्मक विचारों से निपटने में रेडिया शो की अहम भूमिक रही. यही कारण है कि जेल रेडिा और कैदियों का एक अच्छा नाता भी बन गया था.
'जेल रेडियो से माहौल बदल गया है'
हरियाणा जेल डीजी मोहम्मद अकील का कहना है कि हमारे जेल रेडियो बहुत हटके हैं और कैदियों की जरूरतों के लिए अच्छे हैं. जहां-जहां ये रेडियो शुरू किए गए हैं, वहां-वहां कैदियों और बाकी जेल के माहौल पर पॉजिटिव असर पड़ा है. कैदियों के बीच आक्रामकता और डिप्रेशन में काफी गिरावट आई है.
'कैदी रोज 2 घंटे प्रैक्टिस करते हैं'
सोनीपत के जिला जेल के जेल सुपरिटेंडेंट राजेंद्र कुमार ने बताया कि, "कैदियों ने पहले से ही इस जेल रेडियो के लिए कुछ प्रोग्राम्स सोच लिए हैं. उन्हें रोज दो घंटे का प्रैक्टिस स्लॉट भी दिया गया है और इस पर प्रैक्टिस करने के लिए सभी लोग बहुत खासा उत्सुक रहते हैं."
तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नंदा
अब बात करते हैं उस संस्था की जिसके कारण ये सब संभव हो पाया है. तिनका तिनका फाउंडेशन की फाउंडर हैं डॉ. वर्तिक नंदा. डॉ. वर्तिका नंदा जेल सुधार पर काम करती हैं. हरियाणा जेल रेडियो उन्हीं का कॉन्सेप्ट है. दरअसल, डॉ. वर्तिका नंदा ने तिनका तिनका फाउंडेशन को आगरा के जेल से शुरू किया था. डॉ. नंदा तिनका मॉडल ऑफ जेल रिफॉर्म्स के तहत हरियाणा में कैदियों के लिए सुधार के कुछ नए तरीके लेकर आईं हैं. वहां पर लोगों को एक बेहतर जिंदगी और एक बेहतर माहौल देने पर काम कर रही हैं.
बता दें कि डॉ. नंदा दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की हेड हैं. उन्हें 2014 में भारत के राष्ट्रपति से स्त्री शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उनका काम इतना गहरा और बेहतरीन है कि लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी उनका नाम शुमार है.
डॉ. वर्तिका आनंद ने जेल सुधार लिखी कई किताबें
डॉ. नंदा ने जेल सुधार पर किताबें भी लिखी हैं. उनकी किताबों ने भारत की जेलों के अंदर रह रहे लोगों के जीवन के पहलुओं, उनके किस्से-कहानियों को बखूबी पिरोया है. आप जब उनकी किताबें पढ़ेंगे, तब आपको जेल सिस्टम सुधारने और उस पर काम करने की उनकी लगन मालूम पड़ेगी. जेल सुधार पर उनके एक शोध को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद ने 'outstanding' का दर्जा भी दिया है.
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