हरियाणा-J&K के चुनावी नतीजे BJP को वो कौन से दे रहे संदेश, जो आगे की सियासी चढ़ाई में लड़ाई कर देंगे आसान? समझिए
Haryana-J&K Election Results: हरियाणा में बीेजपी की हैट्रिक और जम्मू-कश्मीर में भगवा पार्टी को 29 सीटें मिलीं. हालांकि पहाड़ी राज्य में पार्टी ने 30 से 35 जीतने की बात कही थी.
Haryana-J&K BJP Performance: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज करके नया रिकॉर्ड बनाया है. हरियाणा में ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई पार्टी लगातार तीसरी बार अपनी सरकार बनाने जा रही है. हालांकि, बीजेपी ने जम्मू कश्मीर के लिए जो उम्मीद लगाई थी वैसा प्रदर्शन कर नहीं पाई. जितनी सीटें भाजपा ने जम्मू रीजन में जीती हैं लगभग इतनी ही सीटें वह पहले भी जीत चुकी है.
जम्मू कश्मीर में जब 2014 के विधानसभा चुनाव हुए थे तब जम्मू क्षेत्र में 37 सीटें हुआ करती थी. तब भाजपा ने 25 सीटें जीती थी और अब जम्मू में 43 विधानसभा सीट हैं, जिसमें से भाजपा ने 29 सीटें जीती है. घाटी की बात करें तो कश्मीर में भाजपा का खाता न पहले खुला था और न ही इस बार खुला. जिस तरह की चुनावी नतीजे हरियाणा और जम्मू कश्मीर में भाजपा को मिले हैं. इसके क्या मायने हैं और यह क्या संदेश दे रहे हैं और इससे आने वाले चुनावों में कितना फायदा होगा चलिए समझते हैं.
J&K में क्या रही कमी?
हरियाणा और जम्मू कश्मीर के नतीजों में दिखाया गया है कि विधानसभा चुनाव जीतने के लिए केंद्र सरकार की छवि काफी नहीं होती है बल्कि स्थानीय लीडरशिप भी जरूरी होती है. जिस प्रकार हरियाणा में भाजपा ने नायब सिंह सैनी का चेहरा आगे रखा ठीक वैसा ही बीजेपी गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में भी कर चुकी है और वह सफल रही. वहीं जम्मू कश्मीर में भाजपा के पास कोई स्थानीय लीडरशिप नहीं थी. वहां पर पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के दम पर चुनाव लड़ा गया है.
ऐसे जीता जाता है हारा हुआ चुनाव
हरियाणा में चुनावी नतीजे ने यह तो बता दिया कि कोई भी पार्टी बूथ मैनेजमेंट और बेहतरीन रणनीति बनाए तो हारा हुआ चुनाव भी आसानी से जीत सकती है. हरियाणा में भाजपा ने बूथ मैनेजमेंट पर फोकस किया और निराश कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा. हरियाणा और जम्मू कश्मीर के बाद अब जल्द ही महाराष्ट्र, झारखंड और 2025 में दिल्ली में भी कुछ ऐसा ही चुनावी माहौल बनने वाला है.
पार्टी में कौन है अहम?
भाजपा ने भले ही हरियाणा में कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भरा, लेकिन ऐसा वह जम्मू कश्मीर में नहीं कर पाई बल्कि वहां पर पार्टी को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखने को मिली. ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को छोड़कर दूसरी पार्टी से आए लोगों को ज्यादा अहमियत दी. नौशेरा सीट पर पार्टी नेता और उम्मीदवार रवींद्र रैना के खिलाफ खूब रोष दिखा और ये रोष नतीजों में भी देखा गया.
क्या सच में 370 निरस्त होने के बाद हुआ विकास?
जम्मू कश्मीर में भाजपा की परफॉर्मेंस बिल्कुल वैसी ही है जैसे की 10 साल पहले की थी. पहले भी भाजपा हिंदू बहुल इलाके में चुनाव जीतती आई है, लेकिन जहां मिली जुली आबादी है वहां पर भाजपा के लिए चुनाव जीतना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. मुस्लिम बहुल इलाकों में अभी भी भाजपा भरोसा नहीं जीत पाई है. पार्टी ने पूरा चुनाव 370 हटाने के बाद हुए फायदे पर लड़ा. भाजपा शुरुआत से लेकर अंत तक यही कहती आई है कि जम्मू कश्मीर में विकास हुआ है, लेकिन नतीजे ऐसा बिल्कुल भी नहीं कहते.
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