(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हरियाणा के मंत्री अनिल विज कोवैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने के बाद भी क्यों हुए संक्रमित, दी गई ये अहम जानकारी
भारत बायोटेक वैक्सीन के ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय कहते हैं कि, हरियाणा के मंत्री अनिल विज को वैक्सीन मिली है तो एंटीबॉडी बनने में समय लगता है. अगर आज आपको वैक्सीन दी गई है तो आज ही आपके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनेगी.वह बताते है कि यह दो डोज का शेड्यूल है,और ये दोनों डोज यदि आपको मिल जाते हैं तो आप सुरक्षित हैं.
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल हुए और वे कोरोना संक्रमित हो गए. इसके बाद लोगों में डर है और वैक्सीन को लेकर जेहन में कई सवाल भी हैं. इस पर बायोटेक वैक्सीन के ट्रायल के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ संजय राय ने वैक्सीन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी है. डॉ संजय राय के मुताबिक जब वैक्सीन का ट्रायल चल रहा होता है, खासतौर पर जब तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा हो तो 50 फीसदी लोगों को प्लेसिबो दिया जाता है, जबकि 50 फ़ीसदी लोगों को वैक्सीन दी जाती है. इस बारे में किसी को कुछ पता नहीं होता है कि किसको क्या दिया जा रहा है. ना तो देने वाले को पता होता है ना जिसको वैक्सीन दी जा रही है उसे पता होता है और ना ही इन्वेस्टिगेटर को इस बारे में कोई जानकारी होती है. दरअसल इस दौरान यह देखा जाता है कि यह कितनी प्रभावशाली है. यदि यह पहले से पता होगा कि किस को क्या दिया जा रहा है तो इस पर पक्षपातपूर्ण राय हो सकती है.
कोवैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल है दो डोज का शेड्यूल
डॉ संजय राय कहते हैं कि अगर हरियाणा के मंत्री अनिल विज को वैक्सीन मिली है तो एंटीबॉडी बनने में समय लगता है. अगर आज आपको वैक्सीन दी गई है तो आज ही आपके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनेगी. यह दो डोज का शेड्यूल है. और ये दोनों डोज यदि आपको मिल जाते हैं तो आप सुरक्षित हैं. डॉ संजय राय कहते हैं कि अगर मान भी लिया जाए कि अनिल विज को वैक्सीन मिली थी तो भी उनका प्रोटेक्शन लेवल 10 दिन में नहीं बन सकता है. इसलिए जरूरी यह है कि वैक्सीन लेने के बाद भी मास्क पहने और बार-बार हाथ भी धोएं, साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन जरूरी है.
दूसरी डोज के चार हफ्तों तक बरतें सावधानी
ट्रायल में शामिल हुए व्यक्ति को कोरोना होने पर लोगों के डर को लेकर डॉ संजय राय कहते हैं कि वैक्सीन देने के बाद भी लोगों को संभल जाना चाहिए क्योंकि वैक्सीन लेने के बाद भी प्रोटेक्शन आने में वक्त लग जाता है. दोनों डोज लेना जरूरी है. दूसरी डोज लेने के 4 हफ्ते बाद अच्छा प्रोटेक्शन लेवल हो जाता है. दूसरे डोज के 4 हफ्ते तक जितनी एहतियात बरतेंगे उतना ही अच्छा है. डॉ संजय कहते हैं कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि अगर अनिल विज को वैक्सीन दी भी गई है तो इतना कम समय है कि इतनी जल्दी प्रोटेक्शन नहीं आ सकता है. वे कहते हैं कि जितने भी वैक्सीन बने हैं फिर चाहे वो माडर्ना की हो या फिर फाइजर की हो या ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन हो सब की दो डोज है. और दूसरी डोज देने के बाद ही प्रोटेक्शन आ सकता है एक डोज से बिल्कुल भी ये संभव नहीं है.
वैस्कीन की एफीकेसी का 12 दिनों में नहीं चल सकता है पता
डॉ संजय राय कहते हैं कि लोगों को बिल्कुल डरना नहीं चाहिए कि वैक्सीन की एफीकेसी कम हो गई उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है. दरअसल वैक्सीन की एफीकेसी 12 दिनों में बिल्कुल पता नहीं चलती है. वैक्सीन लेने के बाद भी सावधानी बरतने की जरूरत है.
क्या होता है डबल ब्लाइंड ट्रायल
डॉ संजय राय के मुताबिक डबल ब्लाइंड ट्रायल में किसी वैक्सीन या ड्रग को दो ग्रुप में लोगों को दिया जाता है. एक ग्रुप को वैक्सीन और एक को प्लेसिबो. इस दौरान किसी को नहीं पता होता है किसे क्या दिया जा रहा है. ना तो देने वाले को ना ही वॉलंटियर को इस बारे में कोई जानकारी होती है. एक कोड वाली वायल दी जाती है जिसपर कोड होता है और ये कोड कंप्यूटर द्वारा जनरेट होता है. एनालिसिस के दौरान पता चलता है कि किसे क्या दिया गया था. इससे यह भी पता चलता है की जिस ग्रुप को वैक्सीन दी गई उसपर इसका क्या असर हुआ और जिन्हें नहीं दी गई उन पर इसका क्या असर हुआ. इसी से ऐफिकेसी और इम्यूनॉजेंसिटी पता चलती है. पूरी दुनिया में इसी तरह से ट्रायल होते है.
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