Death In A Madrasa: 50 साल का एक शख्स जिसके वजूद का जर्रा-जर्रा हर तरफ से हारा दिख रहा हुआ हो और झुके हुए कंधों से सिर उठा कर वह ये कहे, "अगर मैं अपने बेटे को बचा लेता तो कयामत के दिन अल्लाह को क्या जवाब देता ?" आप इस शख्स के गम का अंदाजा भी शायद न लगा पाएं, लेकिन एक बात जो इसे मजूबत बनाती है, वह है इसके वजूद में अपने कर्तव्यों और यकीन के लिए डटे होने की चाह. ये शख्स और कोई नहीं बल्कि वो पिता है, जिसके बेटे ने मदरसे में अपने से दो साल छोटे एक बच्चे का कत्ल कर डाला है.
इस केस में एक ऐसा पिता है, जिसने खुद कत्ल करने वाले बेटे को पुलिस के हवाले कर दिया तो दूसरी तरफ ऐसी गमगीन मां है, जो बेटे के कत्ल के बाद गम से उबरने की जद्दोजहद कर रही है. यहां सबसे अहम बात है कि हम जिन्हें अल्लाह, भगवान या जीसस जैसे नामों से पुकारते हैं. दरअसल ये सभी नैतिकता और सही रास्ते का नाम है. जिन्हें इंसान ने अपनी सहूलियत के लिए अलग-अलग धर्म- संप्रदाय का नाम दे रखा है. कत्ल के आरोपी बच्चे के पिता के पास भी बेटे को बचाने के कई मौके थे, लेकिन उन्हें अल्लाह को भी मुंह दिखाना था. उन्हें बेटे से पहले नैतिकता और अपना विश्वास प्यारा था और उन्होंने इस पर नैतिकता की राह को तरजीह दी.
जब पिता को बताया गुनाह
मदरसे में अपने से छोटे बच्चे का कत्ल करने वाले 13 साल के आरोपी के पिता कहते हैं, "मैं अपने बेटे को कहीं भी भेज सकता था, उसे कुछ वक्त के लिए छुपा सकता था पर ऊपर वाले से ये कैसे छुपाता." नूंह के गांव में अपने घर के बाहर चारपाई पर बैठे पिता की आंखों में नमी के साथ ही सच्चाई की चमक भी थी. वह बताते हैं कि वो घर में सबसे छोटा है. इस पिता ने पुलिस को बताया कि बीते सप्ताह कत्ल के बाद दोबारा मदरसे जाने के बाद उनके बेटे ने उन्हें वहां एक बच्चे के गुम होने के बारे में बताया था.
आरोपी बच्चे के पिता का कहना हैं कि जिस दिन मदरसे में गुम हुए बच्चे की लाश मिली, उस दिन वो मदरसे गए थे, लेकिन उस दिन उनके बेटे ने अधिक कुछ नहीं कहा. वो उसे मदरसे में ही छोड़कर वापस लौट आए. बाद में मदरसे में अक्सर जांच के लिए आने वाली पुलिस को देख वह डर गया. इसके बाद आरोपी बच्चे ने अपने पिता को बताया कि उसने ही गायब हुए बच्चे को मारा था. उसे लगा था ऐसा कुछ बड़ा करने से मदरसा बंद हो जाएगा और उसे वहां नहीं पढ़ना पड़ेगा. तब उसके पिता ने उससे कहा कि उसने ऐसा कर पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया है. इसके बाद वह उसे घर ले आए.
अम्मी को कहो खुदा हाफिज
आरोपी बच्चे के पिता बताते हैं कि घर लाने के बाद उन्होंने बेटे से कहा कि वह अपनी अम्मी को खुदा हाफिज करें, भाई-बहनों को अलविदा कहें. इसके बाद आरोपी बच्चे ने नहाया और अपने परिवार को आखिरी बार अलविदा कहा. इसके आधे घंटे बाद उसके पिता उसे पुलिस स्टेशन लेकर चले गए. वह कहते हैं, "मैं उम्मीद करता हूं कि मैंने अपने बेटे को पुलिस के पास ले जाकर सही किया, वरना पुलिस आरोपी की तलाश में मासूस लोगों को नाहक परेशान करती."
पढ़ाई नहीं थी पसंद
आरोपी बच्चे के पिता बताते हैं कि उन्होंने अपने बेटे को पहले गांव के स्कूल में भेजा था, लेकिन उसने वो स्कूल छोड़ दिया. उसकी पढ़ाई में बिल्कुल रुचि नहीं थी और वह अपनी क्लास में जाना भी पसंद नहीं करता था. इसके 7 महीने बाद उसे उन्होंने मदरसे में दाखिला दिलाया. पिता कहते हैं कि बेटे को मदरसे इसलिए भेजा था कि वह वहां विद्वानों से कुछ सीख पाए, लेकिन एक महीने बाद ही वो वहां से भाग गया. मैंने उसे दोबारा वहां भेजा और पढ़ाई पर ध्यान देने को कहा.
आरोपी के पिता का कहना है कि उनके सारे बच्चे गांव के स्कूल और मदरसे में पढ़े हैं. जब हमने उसका दाखिला मदरसे में कराया था तो उसने विरोध जताया था. उनका कहना कि उनके किसी भी बच्चे ने पढ़ाई के लिए ऐसा रवैया नहीं दिखाया था. वह कहते हैं कि उन्होंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा ऐसा करेगा. आरोपी बच्चे के पिता बताते हैं कि जब वह ऑब्जर्वेशन होम में अपने बेटे से मिलने गए तो उसने कहा कि आपने पुलिस को मेरे बारे में सबकुछ क्यों बताया. आरोपी बच्चे ने पिता से ये भी कहा कि उसे उन्हें अपने बारे में कुछ नहीं बताना चाहिए था.
आखिर मेरे बेटे को क्यों मारा
उधर टेड गांव में 11 साल के अपने बेटे के जाने का गम उसकी मां को चैन नहीं लेने दे रहा है. वह अपने सबसे छोटे बेटे के मदरसे में कत्ल को अभी भी हकीकत मानने से इंकार कर रही हैं. उनकी तीन बेटियों के बाद मदरसे में पढ़ने वाला उनका छोटा बेटा उनकी बहनों की आंखों का तारा था. बीते साल गांव के हाजी के कहने पर उन्होंने अपने बेटे को मदरसे में पढ़ने के लिए भेजा था. उनके घर में मर्द के नाम पर यही एक बेटा था. कुछ साल पहले उनके मजदूर पति की मौत बीमारी से हो गई थी.
मृतक बच्चे की मां कहती हैं,"वह भाषाएं सीखने को लेकर खासा उत्साहित रहता था, उसने कभी शिकायत नहीं की.उसने मुझे कहा थी कि उसने मदरसे में दोस्त बना लिए हैं, दो महीने पहले ही वह ईद के लिए घर आया था." मां ने ये भी बताया, " मैंने हाल ही में उसके लिए कुर्ता-पायजामा भिजवाया था." वह सिसकियां भरते हुए कहती हैं कि मदरसा हमारे घर से दूर था, लेकिन मैंने उसे वहां इसलिए भेजा था कि वह वहां सुरक्षित रहेगा. वह कहती हैं कि एक दूसरा पढ़ने वाला बच्चा इतनी छोटी सी बात पर उसे क्यों मारेगा. मुझे ये यकीन करने लायक नहीं लगता है. वह कहती हैं कि उन्हें लगता है कि असली गुनाहगार को बचाने के लिए ये साजिश रची गई है.
क्या है मामला
दरअसल 3 सितंबर को मदरसे में पढ़ने वाला एक 11 साल का बच्चा अचानक गायब हो गया था. उसके वहां न होने का पता शाम को मदरसा संचालक की हाजिरी लेने पर लगा. ये बच्चा उर्दू और अरबी की पढ़ाई कर रहा था. इसके बाद बच्चे की खोज की गई उसके न मिलने पर उसके घरवालों को बताया गया. बच्चे के घरवालों और मदरसे के शिक्षकों ने भी मिलकर उसकी खोज की, लेकिन वह नहीं मिला. इसके बाद बच्चे के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज की गई.
दो दिन बाद 5 सितंबर को उसकी लाश मदरसे में बनी मस्जिद के तहखाने से मिली थी. यहां इस बच्चे की लाश को रेत में दबाकर उसका शरीर और चेहरा लकड़ी के पट्टे से ढक दिया गया था. बच्चे की लाश के मिलने के 6 दिन बाद पुलिस ने मदरसे के ही किशोयरवय (Teenage) के एक 13 साल के बच्चे को कत्ल के आरोप में गिरफ्तार किया.
नूंह पुलिस को पता चला था कि इस बच्चे ने मदरसे में अपने से छोटे बच्चे का कत्ल इसलिए किया था कि वह मदरसा छोड़कर स्कूल जाना चाहता था. पुलिस के मुताबिक कत्ल को अंजाम देने वाले बच्चे ने सोचा था कि इतनी बड़ी वारदात के बाद मदरसा बंद हो जाएगा और उसे घर जाने को मिलेगा.
नूंह के एसपी वरुण सिंगला ने बताया, "जांच में पता चला है कि आरोपी लड़का और 11 साल का मृतक बच्चा संग खेलते थे और आपस में उनका रवैया दोस्ताना था." एसएचओ सतबीर सिंह के मुताबिक, “आरोपी बच्चे ने पूछताछ में बताया कि उसने जुमे की नमाज के दिन मदरसे में भारी भीड़ होने की वजह से कत्ल के लिए शनिवार का दिन चुना था. वह छोटे बच्चे को मदरसे में तहखाने वाले कमरे में ले गया और वहां उसका कत्ल कर दिया. इसके बाद बच्चे की लाश रेत में दबा दी.”
रहे कई संदेह के घेरे में
बच्चे की लाश मिलने के तीन दिनों में 5 सितंबर को नूंह पुलिस ने कई लोगों को शक के आधार पर पूछताछ के लिए पकड़ा था. इनमें मदरसा चलाने वाले मौलवी, उनके मदरसे में पढ़ाने वाले बेटे और दो दुकानदार भी शामिल थे. इस मामले में पुलिस उस वक्त सकते में आ गई जब आरोपी बच्चे के पिता अपने बेटे को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंच गए. इस मामले की जांच कर रहे है एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि आरोपी के पिता को पुलिस को उसे सौंपने से पहले सबूतों के आधार पर जांच अलग ही दिशा में आगे बढ़ रही थी. कत्ल के मामले में मदरसे में पढ़ने वाले किसी भी बच्चे को संदेह की नजर से नहीं देखा गया था. हालांकि पूछताछ के दौरान आरोपी बच्चे ने पुलिस को बताया कि उसे पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी और ये बात कई दफा उसने अपने पैरेंट्स को बताई थी कि वह मदरसे घर आना चाहता है. उसने पुलिस को ये भी बताया कि 11 साल वह बच्चा बेहद सीधा और भोला-भाला था. इस वजह से ही उसे उसका कत्ल करना आसान लगा.
मदरसा अब कुछ दिनों के लिए बंद
मदरसे के मौलवी कहते हैं,"बच्चों की सुरक्षा की जवाबदेही और जिम्मेदारी मेरी बनती हैं. बच्चे-बच्चे छोटी-छोटी शरारतें करते रहते हैं, लेकिन मुझे अभी तक ये समझ नहीं आ रहा कि इस तरह का काम उन्होंने कैसे किया, मुझे इसका बेहद गम है." उधर मदरसे में इन दिनों में शांति पसरी है, क्योंकि कुछ वक्त के लिए अस्थाई तौर पर इसे बंद कर दिया गया है. यहां नजदीकी गांवों से पढ़ने वाले सभी बच्चे अपने-अपने घरों को वापस लौट गए हैं.
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