Haryana Violence: मेवात इलाके में हिंदू मुस्लिम तनाव काफी समय से है. गोरक्षा के नाम पर पिछले कुछ सालों में कुछ घटनाओं को लेकर भी ये इलाका चर्चा में रहा. हालांकि, हरियाणा के लोग बताते हैं कि नूंह में मंदिर आंदोलन के दौरान सांप्रदायिक तनाव हुआ था, लेकिन उसके बाद करीब तीन दशक से इस इलाके में बड़ी घटना नहीं हुई. 31 जुलाई को ये शांति भंग हो गई. इलाके के लोग कहते हैं कि जो 31 जुलाई को हुआ, वैसा पहले कभी नहीं देखा. एबीपी न्यूज ने नूंह में उस जगह की पड़ताल की, जहां से हिंसा की चिंगारी भड़की थी.
सवाल है कि मेवात हिंसा का मुजरिम कौन है? गलती सरकार की है या फिर समुदाय की. इंटेलीजेंस की नाकामी का जिम्मा किसके सिर चढ़ेगा? एबीपी न्यूज के एग्जीक्यूटिव एडिटर जगविंदर पटियाल अरावली की पहाड़ियों में बने उस मंदिर के पास पहुंचे, जहां से शोभा यात्रा निकली थी.
ग्राउंड जीरो पर एबीपी न्यूज
एबीपी न्यूज ने ग्राउंड जीरो पर जाकर देखा तो पाया कि जहां पर मंदिर बना हुआ है, वहां कोई आम आबादी नहीं है. वहां से एक रास्ता निकलता है, इसी रास्ते पर दंगाइयों की भीड़ ने गाड़ियों को जलाया था. सवाल ये है कि क्या ये तय था कि जब ये यात्रा मंदिर से निकलकर सड़क पर पहुंचेगी तो यहां पर गाड़ियां जलाई जाएंगी?
सवाल ये है कि शोभायात्रा पर जिस भीड़ ने हमला किया वो कहां से आईं. इतने बड़े गैर आबादी वाले इलाके में भीड़ कहां से आई? क्या इसके लिए कोई बड़ी प्लानिंग की गई थी?
मोनू मानेसर पर आरोप
इस बीच गुरुग्राम हिंसा के दो वायरल कैरेक्टर की पड़ताल भी जरूरी है. पहला नाम है मोनू मानेसर का. मोनू हत्या के मामले में वांछित है और फरार चल रहा है. बावजूद इसके, वो सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करता रहता है. घटना के पहले भी मोनू मानेसर का वीडियो सामने आया था. एक समुदाय मोनू मानेसर के वीडियो को ही हिंसा का जिम्मेदार ठहराता है. तो क्या मोनू मानेसर 31 जुलाई को नूंह में था. क्या उसने ही माहौल बिगाड़ा? एबीपी न्यूज ने जब मोनू मानेसर से फोन पर बात की तो उसने सीधे इनकार किया और कहा कि उसका कोई रोल ही नहीं है.
कांग्रेस विधायक मामन खान ने एबीपी न्यूज ने बताया कि इलाके में इन्हें लेकर पहले लेकर लोग आहत थे. उन्होंने एक और नाम लिया- बिट्टू बजरंगी का और दावा किया कि इसके वीडियो ने लोगों को सबसे ज्यादा आहत किया. लोग बहुत दुखी थे, इसी से आहत होकर दोनों पक्ष भिड़े हैं.
यह भी पढ़ें