Haryana Violence: हरियाणा के नूंह में धार्मिक शोभायात्रा पर हमले के बाद हो रहे विरोध प्रदर्शन का मामला बुधवार (2 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में उठा. 'शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत सरकार' मामले में एक आवेदन दाखिल कर कोर्ट से मांग की गई कि वह विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के विरोध प्रदर्शनों पर रोक लगा दे. कोर्ट ने प्रदर्शन पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि इन कार्यक्रमों में भड़काऊ बयान न दिए जाएं और उनके चलते हिंसा न भड़के.
वीएचपी और बजरंग दल ने नूंह हिंसा मामले में दिल्ली में आज 23 विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम रखे थे. इसके अलावा दिल्ली से सटे हरियाणा एयर यूपी के एनसीआर क्षेत्र में भी विरोध कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इसे रुकवाने के लिए सुबह से ही याचिकाकर्ता के वकील सी यू सिंह सुप्रीम कोर्ट में सक्रिय नजर आए. उन्होंने 2 बार चीफ जस्टिस से आज ही सुनवाई का अनुरोध किया.
जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 मामले की सुनवाई में व्यस्त चीफ जस्टिस ने उन्हें नियमों के मुताबिक रजिस्ट्रार को औपचारिक ईमेल भेजने को कहा. आखिरकार, दोपहर लगभग 1.30 बजे उन्होंने निर्देश जारी किया कि 2 बजे मामला जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की बेंच में लगेगा.
कोर्ट में किसने क्या कहा
सुनवाई शुरू होते ही वकील सी यू सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट भड़काऊ भाषणों पर नियंत्रण को लेकर पिछले साल आदेश दे चुका है. इसके तहत प्रशासन की जवाबदेही तय की गई है इस पर जस्टिस खन्ना ने उनसे पूछा कि सुबह से जितने प्रदर्शन हो चुके हैं, क्या उनमें भड़काऊ भाषण दिए गए. वकील ने जवाब दिया कि कुछ जगहों पर भड़काऊ बयान दिए जाने की सूचना उन्हें मिली है.
इस दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यवाही से जुड़े एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि उन्हें अभी-अभी याचिका की कॉपी मिली है. वह उसे पढ़ भी नहीं पाए हैं. इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि वह और जस्टिस भट्टी भी याचिका को पढ़ नहीं पाए हैं. इसलिए सुनवाई शुक्रवार को की जाएगी. जज ने कहा कि फिलहाल यह निर्देश दिया जा रहा है कि हेट स्पीच से जुड़े पिछले आदेश का पालन इस मामले में भी सुनिश्चित किया जाए.
इन राज्यों की सरकार को कोर्ट का नोटिस
कोर्ट ने केंद्र सरकार के अलावा मामले में यूपी, हरियाणा और दिल्ली को भी नोटिस जारी किया. कोर्ट ने सभी सरकारों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ भाषण न दिए जाएं. भड़काऊ बयान की स्थिति में पुलिस ज़रूरी कानूनी कार्रवाई करे. इस बात का ध्यान रखा जाए कि इन कार्यक्रमों के चलते हिंसा न हो. जहां संवेदनशील क्षेत्र में कार्यक्रम हो रहा हो, वहां अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया जाए. साथ ही, सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जाए और उसकी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाए.
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