हरियाणा: प्राइवेट नौकरियों में 75 फीसदी कोटे से उद्योग-जगत में खलबली
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाल ही में नया कानून बनाया है, जिसके अनुसार सभी निजी उद्योगों, कंपनियों व साझेदारी फर्म में 75 फीसदी नौकरियों का कोटा उनके लिए रहेगा, जिसकी पैदाइश हरियाणा में हुई है या फिर जो पिछले पांच साल से प्रदेश का निवासी है.
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नई दिल्ली: हरियाणा में सभी प्राइवेट कंपनियों में 75 फ़ीसदी स्थानीय लोगों को ही नौकरी देने का कानून बन जाने के बाद उद्योग जगत में खलबली मच गई है. उनका मानना है कि इससे कोरोना काल के बाद इकोनॉमी को जो रफ़्तार पकड़नी थी, वह तो दूर की बात रही, उल्टे इंस्पेक्टर-राज को बढ़ावा मिलेगा और कई छोटी कंपनियों के बंद होने की नौबत आ जाएगी. कहा जा रहा है कि उद्योग-जगत के प्रतिनिधियों से मशविरा किए बगैर सरकार ने इसे आनन-फानन में लागू कर दिया. हालांकि राज्य सरकार का तर्क है कि इससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा खासकर अकुशल क्षेत्र में युवाओं को ज्यादा नौकरियां मिलेंगी.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हाल ही में नया कानून बनाया है, जिसके अनुसार सभी निजी उद्योगों, कंपनियों व साझेदारी फर्म में 75 फीसदी नौकरियों का कोटा उनके लिए रहेगा, जिसकी पैदाइश हरियाणा में हुई है या फिर जो पिछले 15 साल से प्रदेश का निवासी है. यह कानून 50 हजार रुपये तक मासिक वेतन वाली नौकरी पर लागू होगा. हरियाणा स्टेट एम्प्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 के नाम से बने इस कानून की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गई. ऐसी सभी कंपनियों, ट्रस्ट,सोसाइटी व फर्म को अब इसका पालन करना होगा, जहां 10 से अधिक कर्मचारी हैं. इसमें सभी जिला प्रशासन को ये अधिकार दिए गए हैं कि वे 24 घंटे के नोटिस पर इंस्पेक्शन करके ये पता लगा सकेंगे कि कहां इस पर अमल नहीं हो रहा है. कानून के मुताबिक 50 हजार तक मासिक वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों का ब्यौरा राज्य सरकार के पोर्टल पर अपलोड करना होगा और समय-समय पर इसे अपडेट करना भी अनिवार्य है.
उद्योग-जगत के प्रतिनिधियों का कहना है कि अगर सरकार ने उनसे चर्चा की होती, तो वे बताते कि यह कानून कितना अव्यवहारिक है और इसमें क्या खामियां हैं, जिसका नुकसान सिर्फ कंपनियों को ही नहीं बल्कि पूरे राज्य को झेलना पड़ेगा. CII के महानिदेशक चन्द्रजीत बनर्जी कहते हैं, ऐसे समय में जब हरियाणा में निवेश आकर्षित करने की जरूरत है, तब सरकार ने उद्योगों पर ये बंदिश लगाकर मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. नौकरियों में आरक्षण लागू करने से उत्पादकता पर तो असर पड़ेगा ही, इससे उद्योगों की प्रतिस्पर्धा भी प्रभावित होगी. CII के हरियाणा चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष व ऑटो पार्ट्स निर्माता संजय कपूर के मुताबिक सरकार के इस कदम से उद्योगपति हरियाणा में निवेश करने से कतराएंगे, जिसका असर राज्य की इकॉनमी पर भी पड़ेगा. हमने सरकार से कहा है कि वह इस पर पुनर्विचार करे हरियाणा की कंपनियों में करीब 70 फीसदी कर्मचारी ऐसे हैं, जो 50 हजार तक मासिक वेतन पाते हैं, उस लिहाज से पूरे उद्योग जगत के लिए नया कानून सिरदर्द से कम नहीं साबित होने वाला है.
वैसे 2019 में आंध्र प्रदेश सरकार ने भी इस तरह का कानून बनाया था, जिसे अदालत में चुनौती दी गई. गुड़गांव इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष जे.एन. मंगला कहते हैं कि इससे इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा और सबसे बड़ी बात कि एक साथ अचानक इतने कुशल या अर्ध कुशल कर्मचारी कहां से मिलेंगे जो राज्य के स्थायी निवासी हों. गुड़गांव चैम्बर ऑफ कॉमर्स से जुड़े पीके जैन के मुताबिक इससे नई नौकरियां पैदा नहीं होंगी, बल्कि जो हैं, वे भी खत्म हो जाएंगी. लोग अपने कारोबार का विस्तार ही नहीं करेंगे.
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