Haryana News : फूड सप्लीमेंट की आड़ में चल रही थी कैंसर की नकली दवा बनाने की फैक्ट्री, डॉक्टर-इंजीनियर गिरफ्तार
Ganaur News : दिल्ली क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवा बनाने की फैक्ट्री चलाने के आरोप में एमबीबीएस डॉक्टर, एमबीए और इंजीनियर को गिरफ्तार किया है. ये फैक्ट्री सोनीपत के गन्नौर में पकड़ी गई.
Ganaur News : सोनीपत के गन्नौर से फूड सप्लीमेंट बनाने की आड़ में कैंसर की नकली दवा बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई है. बताया गया कि ये फैक्ट्री पिछले करीब साढ़े पांच साल से चल रही थी. फैक्टरी के मालिक रामकुमार को दिल्ली की क्राइम ब्रांच की टीम ने गन्नौर से गिरफ्तार किया. वही इस मामले में कई एमबीबीएस डॉक्टर, इंजीनियर को भी गिरफ्तार किया गया है.
गिरफ्तार आरोपियों में डॉक्टर पबित्रा नारायण, शुभम मन्ना, पंकज सिंह वोहरा, अंकित शर्मा, राम कुमार, आकांक्षा वर्मा और प्रभात कुमार शामिल हैं. बताया जा रहा है कि फूड सप्लीमेंट बनाते-बनाते आरोपी कैंसर की नकली दवा बेचने वाले गिरोह से जुड़ गया और उनके लिए दवा तैयार करने लगा. फैक्टरी में कभी निरीक्षण ही नहीं हुआ. अब दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने मामले का खुलासा किया तो अधिकारियों ने भी सैंपल ले लिए और फैक्ट्री को सील कर दिया. साथ ही आयुर्वेदिक अधिकारी ने फैक्ट्री का लाइसेंस खारिज कर दिया. बताया गया है कि रिकॉर्ड नहीं मिलने के चलते लाइसेंस रद्द किया गया है.
मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम और ड्रग विभाग, गाजियाबाद, नोएडा और बुलंदशहर के अधिकारियों की टीम ने कैंसर की नकली दवा बनाने वाली फैक्ट्री पर छापा मारा. यहां बिना लाइसेंस के दवाओं का स्टॉक और बनाने का काम किया जा रहा था. टीम ने इसके बाद गन्नौर में छापा मारकर बादशाही रोड स्थित आरडीएम बायोटेक कंपनी से मालिक राम कुमार को गिरफ्तार किया था.
फूड सप्लीमेंट गाजियाबाद में बन जाता था कैंसर की दवा!
स्टेट आयुर्वेद अधिकारी डॉ. दिलीप मिश्रा ने बताया कि यहां पर फूड सप्लीमेंट बनाने की फैक्ट्री थी. राम कुमार ने यह फैक्ट्री साल 2016 में लगाई थी. इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से लाइसेंस लिया गया था. इतना ही नहीं साल 2020 में उसने जिला आयुर्वेदिक अधिकारी कार्यालय से भी देसी दवा बनाने का लाइसेंस लिया था. इस फैक्ट्री में फूड सप्लीमेंट 'जिनोव्हे' के नाम से बनाया जाता था. इसको यहां पर प्रोटीन पाउडर के रूप में तैयार किया जाता था, जिससे किसी को शक ना हो. वहीं गाजियाबाद (Ghaziabad) ले जाने के बाद इसको कैंसर की दवा के रूप में पैक कर दिया जाता था.
गिरोह के सदस्यों को पकड़े जाने के बाद पड़ा छापा
इस फैक्ट्री में कभी जिला, प्रदेश व केंद्र की किसी टीम ने जांच नहीं की. उसने विभाग को जरूरी जानकारी भी उपलब्ध नहीं कराईं. दिल्ली पुलिस की तरफ से गिरोह के सदस्यों को पकड़े जाने के बाद यहां छापा मारा गया. यहां पर केंद्रीय खाद्य औषधि प्रशासन, राज्य खाद्य औषधि प्रशासन, ड्रग विभाग, फूड इंस्पेक्टर (Food Inspector) और राज्य आयुर्वेदिक अधिकारी की टीम ने छापा मारा था. यहां कैल्शियम कार्बोनेट और स्टार्च (मक्के का आटा) के 20 बोरे मिले. इनके दो-दो सैंपल लेकर जांच को भेजा गया है. फैक्ट्री में मिली मशीनों को सील कर दिया है. बताया गया है कि यहां पर चार साल पहले तक फूड सप्लीमेंट बनाया जाता था. उसके बाद कैंसर की नकली दवा तैयार की जाने लगी.
लाइसेंस खारिज के बाद जांच शुरू
दिल्ली क्राइम ब्रांच की सूचना के बाद हमारी टीम और फूड एंड सेफ्टी विभाग की टीम फैक्ट्री में पहुंची थी. फैक्ट्री में बनाने वाले सामान की जांच फूड विभाग ने की है लेकिन आयुर्वेद का कोई भी लाइसेंस फैक्ट्री के पास नहीं था. फैक्टरी मालिक ने आयुर्वेदिक दवा बनाने का लाइसेंस लिया था, लेकिन वह दवाओं का निर्माण नहीं कर रहा था. उसके पास आयुर्वेदिक दवा बनाने का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है. इसके चलते उसका लाइसेंस निरस्त कर जांच शुरू कर दी गई है.
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