Haryana Violence: ‘ये वो गुड़गांव नहीं जिसे हम जानते हैं’, हरियाणा में सांप्रदायिक हिंसा से हिले परिवारों ने छोड़ा शहर
Haryana Violence: सोमवार (31 जुलाई) को नूंह के बाद हरियाणा के कई शहरों में फैली हिंसा ने कई परिवारों को हिला कर रख दिया. डर और भय की वजह से लोग शहर छोड़ने पर मजबूर हो गए.
Nuh Violence: हरियाणा के नूंह से शुरू हुई हिंसा राज्य के कई शहरों में देखी गई. गुरुग्राम में भी भीड़ ने दुकानों में आग लगाई, एक खास समुदाय को धमकियां दीं और मस्जिद को आग के हवाले कर दिया जिसमें इमाम की मौत हो गई. इन घटनाओं से आहत एक आईटी प्रोफेशनल अपने परिवार के साथ शहर छोड़कर दिल्ली के होटल में रहने चला गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शख्स को दिल्ली का होटल अपने गुरुगाम वाले घर से ज्यादा सुरक्षित लगा और इसीलिए उन्होंने अपनी पत्नी, तीन बच्चों और एक छोटे भाई के साथ गुरुग्राम में सेक्टर 52 वाला मकान छोड़ दिया और होटल में कमरा ले लिया. पिछले 15 सालों से गुड़गांव में रहने वाले इस शख्स ने सोमवार शाम को ही अपना घर छोड़ दिया था.
शहर छोड़ने पर क्या बोले परिजन?
ऐसे कई लोग रहे जिन्होंने हिंसा के बाद गुरुग्राम शहर को छोड़ दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अब्बास (बदला हुआ नाम) ने कहा, “हमें नूंह में हुई हिंसा के बारे में पता चला और हमारे दोस्तों ने ये भी सूचना दी कि ये सोहना में ये फैलने वाली है. मेरे बच्चों ने दुर्घटनावश कुछ वीडियो अपने टेबलेट पर देख लिए, इसे देखने के बाद वो डर गए. इसके बाद मैंने जल्द से जल्द निकलने के फैसला किया और होटल बुक कर लिया.”
इसके अलावा हनीफ (बदला हुआ नाम) ने कहा, “मैंने पिछले 20 सालों इतना असुरक्षित कभी महसूस नहीं किया. नूंह और गुरुग्राम में हिंसा के बाद अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए मैंने एक होटल बुक कर लिया. आसपास में सिर्फ हमारा मुसलमान परिवार है. सेक्टर 57 की मस्जिद पर हमले के बाद मुझे लगा कि गुड़गांव जैसे शहर में हमला किया जा सकता है तो व्यक्ति कहां सुरक्षित रहेंगे.”
हनीफ कहते हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को सच नहीं बताया. उससे सिर्फ इतना कहा कि हमारे घर में मरम्मत का काम होगा तो हमें होटल में रहना होगा. अगर उसे सच बता देते तो वो पूरे जीवन ही असुरक्षित महसूस करती.
वहीं, फैजान (बदला हुआ नाम) ने कहा, “मैं ये तय नहीं कर पा रहा हूं कि मुझे हिंसा थमने के बाद वहां जाना चाहिए. अच्छी बात ये रही कि मेरी कंपनी ने मुझे वर्क फ्रॉम होम के लिए अनुमति दे दी. नहीं तो मुझे चीजों को संभालने में बहुत कठिनाई होती. अब मेरे परिवार वाले मुझे नौकरी छोड़ने के लिए कह रहे हैं.”
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