हरियाणा का आदमपुर उपचुनाव: कांग्रेस के खिलाफ तीन 'दुश्मन' दोस्त बनकर आ गए एक मंच पर
दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ और सिर्फ झूठ और फरेब की राजनीति करता है. उन्होंने कहा कि आमजन को विपक्ष की नकारात्मकता से सावधान रहना होगा.
राजनीति में कब कौन किसके खिलाफ हो जाए और कौन किसका दामन थाम ले, ये ठीक वैसा है जैसा एक क्रिकेट मैच के अनुमान के बारे में पहले से पता लगा लेना. ऐसा ही एक नज़ारा हरियाणा में आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में देखने को मिला.
जब जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस से बीजेपी में आए कुलदीप बिश्नोई एक साथ नजर आए. बीजेपी के बृजेंद्र सिंह भी साथ दिखे. दुष्यंत और कुलदीप ये दोनों ही हरियाणा के दो बड़े सियासी परिवार से आते हैं और दोनों परिवार साल 1972 से एक दूसरे के सियासी दुश्मन भी रहे हैं.
लेकिन कल यानी मंगलवार को प्रचार के दौरान दोनों का अलग ही रंग देखने को मिला. पहली बार दुष्यंत चौटाला ने कुलदीप बिश्नोई के साथ मंच साझा किया. दुष्यंत और कुलदीप ने पुरानी बातों को भुलाकर एक दूसरे की जमकर तारीफ की और भाजपा प्रत्याशी भव्य बिश्नोई को जिताने की अपील भी की.
(दुष्यंत चौटाला)
इस प्रचार के साथ ही हरियाणा के हिसार जिले में आदमपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार समाप्त हो गया. प्रचार के आखिरी दिन दो बड़े दुश्मन नेता के एक साथ मंच पर आने से राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है कि आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस को हराने के लिए दुष्यंत चौटाला और कुलदीप विश्नोई ने अपनी आपसी नाराजगी को दूर कर लिया है.
उसी दिन मंच पर ना सिर्फ जेजेपी और बीजेपी के ये तीन दुश्मन नेता नजर आए बल्कि सीएम मनोहर लाल खट्टर, भाजपा उम्मीदवार भव्य बिश्नोई दिवंगत भजन लाल की पत्नी और भव्य की दादी जसमा देवी के साथ राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद और कई अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे.
दुष्यंत चौटाला ने मंच पर भाषण की शुरुआत करते हुए आदमपुर की जनता से अपना पुराना नाता बताया उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि क्षेत्र के विकास में आने वाले दिनों में और गति लाई जाएगी और विकास कार्यो में कोई कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी.
दुष्यंत चौटाला ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष सिर्फ और सिर्फ झूठ और फरेब की राजनीति करता है. उन्होंने कहा कि आमजन को विपक्ष की नकारात्मकता से सावधान रहना होगा, तभी इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो पाएगा. दुष्यंत ने कहा कि कांग्रेस से कोई भी बड़ा नेता प्रचार करने नहीं आया. ना किरण, ना सुरजेवाला और ना ही सैलजा. कांग्रेस हरियाणा में बापू-बेटा की पार्टी बनकर रह गई है.
(बृजेंद्र सिंह)
क्यों साथ आएं दुश्मन
दुष्यंत और बिश्नोई हरियाणा के दो प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक राजवंशों से संबंधित हैं. एक तरफ जहां दुष्यंत देवी लाल के परपोते हैं तो वहीं भव्य भजनलाल के परिवार से हैं. कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई. इसके अलावा, 2019 के लोकसभा चुनाव में, दुष्यंत, बृजेंद्र और भव्य ने हिसार से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था, जिसमें बृजेंद्र जीत गए थे. लेकिन इन तीनों नेताओं के साथ मंच पर आने का एक उद्देश्य साफ था और वह है कांग्रेस को एक संदेश देना.
ताऊ देवीलाल के परिवार के दुष्यंत चौटाला ने चौधरी भजनलाल परिवार के भव्य बिश्नोई के लिए प्रचार किया. ये नजारा आम चुनाव प्रचार से इसलिए अलग है क्योंकि इन दोनों परिवारों की सियासी लड़ाई 1972 से जारी है, लेकिन इतने सालों में यह पहला मौका है जब दोनों परिवार एक दूसरे के साथ खड़े हैं.
दरअसल ये दोनों परिवार हरियाणा के दो बड़े सियासी परिवार हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी चुनावों में एक-दूसरे के आमने-सामने थे. लेकिन उपचुनाव ताऊ देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी से दुष्यंत चौटाला और भजनलाल के परिवार से कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे भव्य बिश्नोई ने दोनों परिवार को एक साथ मंच पर ला दिया. इन दोनों परिवारों के बीच लगभग सियासत लगभग 50 साल से जारी थी.
कौन किस सियासी परिवार से रखता है नाता
हरियाणा की राजनीति में देवीलाल और भजनलाल दो बड़े नेता रहे हैं. साल 1972 की बात है, उस वक्त हो रहे उपचुनाव के दौरान आदमपुर विधानसभा सीट पर चौधरी भजन लाल की कांग्रेस के टिकट से उम्मीदवारी थी और उनके विपक्ष में थे चौधरी देवीलाल. देवीलाल उस वक्त निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे थे.
इस चुनाव के दौरान चौधरी देवीलाल 10,961 वोट से हारे थे. इसके बाद साल 2008 के उपचुनाव में भजनलाल के सामने रणजीत सिंह चौटाला चुनावी मैदान में थे, जिसमें वो 20 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला कुलदीप बिश्नोई को 31,867 वोटों से हरा चुके हैं. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भव्य बिश्नोई और दुष्यंत चौटाला को भाजपा उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह ने हराया था.
(कुलदीप बिश्नोई)
बता दें कि हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी (दुष्यंत चौटाला की पार्टी) की सरकार है लेकिन दोनों के बीच अक्सर अनबन रहती है. कई बार दोनों एक दूसरे के खिलाफ भी बोल चुके हैं. यहां तक की जो आदमपुर उपचुनाव है, उसमें भी जेजेपी, बीजेपी से खफा नज़र आ रही थी. उन्हें लग रहा था कि इस चुनाव में जेजेपी की नहीं सुनी गई है लेकिन तब भी दोनों साथ हैं.
बता दें कि आदमपुर उपचुनाव के लिए 3 नवंबर को वोटिंग होगी. वोटों की गिनती 6 नवंबर को होगी. लोग सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक अपने मत का प्रयोग कर सकते हैं. आदमपुर उपचुनाव में कुल 22 उम्मीदवार चुनावी मतदान में हैं.
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