नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) में आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस का कैंपेन जोरों पर है. सभी पार्टियां एक-दूसरे को चुनावी पटखनी देने के लिए जनता से तरह-तरह के वादे कर रही हैं और अपने-अपने कामों को गिना रही हैं. इस चुनाव में आम जनता के लिए महिला सुरक्षा का मुद्दा भी अहम रहने वाला है. ऐसे में तीनों प्रमुख पार्टी महिला मतदाताओं को रिझाने के लिए तरह-तरह के वादे कर रही हैं. दिल्ली में आठ फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 11 फरवरी को वोटों की गिनती होगी.


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सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने महिला सुरक्षा को 'केजरीवाल की 10 गारंटी कार्ड' में भी शामिल किया है. चुनाव प्रचार में आप हर एक मंच से महिला सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों को गिना रही है. इसमें स्ट्रीट लाइट्स-सीसीटीवी लगाए जाने, बसों में मार्शलों की तैनाती और महिलाओं के लिए बसों में मुफ्त सफर का काम शामिल है. यही नहीं AAP ने दावा किया है कि दोबारा सत्ता में आने पर 'मोहल्ला मार्शल' तैनात किए जाएंगे और स्ट्रीट लाइट्स, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई जाएगी. इसके साथ ही AAP का कहना है कि अगर केंद्र सरकार दिल्ली पुलिस को राज्य की सरकार के हाथ में सौंप देती है तो महिला सुरक्षा की तरफ बड़े कदम आसानी से उठाए जा सकते हैं.


वहीं विपक्षी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस इन दावों और वादों पर सवाल उठाती दिख रही है. बीजेपी का कहना है कि पांच साल पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पूरी दिल्ली में सीसीटीवी लगाने का वादा किया था लेकिन अभी तक काम पूरा नहीं हुआ. यही नहीं बीजेपी नेताओं का दावा है कि दिल्ली सरकार ने निर्भया फंड से मिले पैसा का पूरा इस्तेमाल तक नहीं किया. बीजेपी निर्भया मामले में दोषियों की फांसी में हुई देरी पर भी दिल्ली सरकार को घेर रही है.


वहीं कांग्रेस का बीजेपी और आम आदमी पार्टी, दोनों से सवाल है. पार्टी का कहना है कि आप-बीजेपी की लड़ाई में आज भी दिल्ली में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा के लिए स्पेशल कमांडो फोर्स बनाने का वादा किया था लेकिन अब तक ये वादे हकीकत में नहीं बदले. कांग्रेस दिल्ली पुलिस के रवैये को भी कठघरे में खड़े करती रही है.


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