Supreme Court On Hate Speech Case: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सांप्रदायिक आधार भड़काऊ बयान देने वाला जिस भी धर्म का हो, उस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को दिए आदेश को सभी राज्यों पर लागू कर दिया है. तब कोर्ट ने कहा था कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे. इसके लिए किसी की तरफ से शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार न किया जाए. कोर्ट ने यह भी कहा था कि कार्रवाई करने में कोताही को अवमानना माना जाएगा.
21 अक्टूबर को हुई सुनवाई में जस्टिस के एम जोसेफ और ऋषिकेश रॉय की बेंच से याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने कहा था कि मुसलमानों के खिलाफ लगातार हिंसक बयान दिए जा रहे हैं, इससे डर का माहौल है. तब बेंच के सदस्य जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा था, "क्या ऐसे भाषण सिर्फ एक तरफ से ही दिए जा रहे हैं? क्या मुस्लिम नेता नफरती बयान नहीं दे रहे? आपने याचिका में सिर्फ एकतरफा बात क्यों कही है?" इस पर याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जो भी नफरत फैलाए, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए.
‘शिकायत का इंतजार न करें’
इसके बाद जस्टिस जोसफ ने फैसला लिखवाते हुए कहा था, "IPC में वैमनस्य फैलाने के खिलाफ 153A, 295A, 505 जैसी कई धाराएं हैं लेकिन अगर पुलिस उनका उपयोग न करे तो नफरत फैलाने वालों पर कभी लगाम नहीं लगाई जा सकती. हम दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को निर्देश दे रहे हैं कि वह ऐसे मामलों में तुरंत केस दर्ज कर उचित कानूनी कार्रवाई करें. इसके लिए किसी शिकायत का इंतज़ार न करें."
आज जस्टिस के एम जोसफ और बी वी नागरत्ना की बेंच ने मामला सुना. इस बेंच ने अक्टूबर में दिए आदेश को सभी राज्यों पर लागू कर दिया. मामले पर अगली सुनवाई 12 मई को होगी.
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