हाथरस मामला: ABP News की मुहिम जारी, एसपी सहित पांच पुलिसकर्मी सस्पेंड, जानें अब तक क्या-क्या हुआ?
इस मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर शुक्रवार को यूपी सरकार ने पांच पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया.
नई दिल्ली: हाथरस मामले में एबीपी न्यूज़ की मुहिम का असर हुआ. उत्तर प्रदेश की सरकार ने शुक्रवार को जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी )और चार अन्य पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया.जिले में धारा 144 लागू है. वहीं, स्थानीय अधिकारियों ने साफ किया कि मीडिया को पीड़िता के गांव में जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
विनीत जायसवाल हाथरस के नए एसपी
इस मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) की टीम बनाई गई. इस एसआईटी की ही प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के एसपी विक्रांत वीर सिंह, क्षेत्राधिकारी (CO) राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा, सब इंस्पेक्टर जगवीर सिंह और हेड मोहर्रिर महेश पाल को निलंबित कर दिया गया. अब हाथरस के एसपी विनीत जायसवाल होंगे. जायसवाल शामली के एसपी हैं.
दोनों पक्षों का होगा नार्को टेस्ट
इसके साथ ही दोनों पक्षों (पीड़ित और आरोपी) और मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों का नार्को टेस्ट करवाए जाने का निर्देश दिया गया है. निर्देश में कहा गया कि एसपी विक्रांत वीर को लापरवाही और शिथिल पर्यवेक्षण के लिए निलंबित किया गया है.
चार आरोपियों की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले में चार आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. पीड़िता के परिवार से सीएम योगी आदित्यनाथ ने बात की थी. परिवार के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे का एलान किया गया था. रात में पीड़िता का शव जलाने पर सीएम ने खेद जताया था.
प्रियंका गांधी का योगी सरकार पर निशाना
इस बीच सवाल ये बना हुआ है कि जिले के डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए सीएम पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ मोहरों को सस्पेंड करने के क्या होगा. उन्होंने मुख्यमंत्री का इस्तीफा मांगते हुए कहा कि हाथरस के डीएम और एसपी के फोन रिकार्ड्स पब्लिक किए जाएं. मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारी से हटने की कोशिश न करें. देश देख रहा है.
पीड़िता के गांव के बाहर मौजूद है एबीपी न्यूज़ की टीम
हाथरस में प्रशासनिक लापरवाही का मामला गरमाया हुआ है. एबीपी न्यूज़ के रिपोर्टर्स की टीम पीड़िता के गांव के बाहर अडिग है. गुरुवार सुबह से प्रशासन ने पीड़िता के गांव को छावनी में तब्दील कर रखा है और मीडिया समेत किसी भी बाहरी व्यक्ति को गांव में पीड़िता के परिजनों से अबतक मिलने नहीं दिया गया है.
पीड़िता के परिवार के एक सदस्य ने किया ये दावा
शुक्रवार को एबीपी न्यूज़ संवाददाता से पुलिस ने बदसलूकी की और फिर एबीपी न्यूज़ के रिपोर्टर्स की टीम मौके पर मौजूद है. इस मामले में प्रशासन ने एसआईटी जांच और कोरोना को आधार बनाकर मीडिया को बाहर रोक रखा है. इसी बीच पीड़िता के परिवार का एक लड़का बाहर आकर मीडिया से मिला और उसने कहा कि उसके परिवार पर दबाव बनाया जा रहा है. लड़के ने दावा किया कि 150 से 200 पुलिसकर्मी पीड़िता के घर पर मौजूद हैं और घर के सभी लोगों का मोबाइल ले लिया गया है.
विपक्ष का दिल्ली-यूपी में प्रदर्शन
गौरतलब है कि इस पूरे मामले को लेकर यूपी की सरकार विपक्ष के निशाने पर है. समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को लखनऊ में प्रदर्शन किया, जिनपर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. पार्टी कार्यकर्ताओं ने अलीगढ़, मथुरा और इलाहबाद में भी प्रदर्शन किया. वहीं दिल्ली में छात्रों, नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक नेताओं ने शाम को जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी और लेफ्ट दलों समेत कई पार्टियों के नेता शामिल हुए.
बता दें कि 14 सितंबर को हाथरस जिले के चंदपा थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की रहने वाली 19 साल दलित लड़की से कथित तौर पर गैंगरेप किया गया था. लड़की को रीढ़ की हड्डी में चोट और जीभ कटने की वजह से पहले अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. उसके बाद उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया था, जहां बीते मंगलवार तड़के उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद प्रशासन ने जबरन रात में लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया.