नई दिल्ली: हाथरस गैंग रेप केस को सुलझाने मे सीबीआई को एक बार फिर नाकों चने चबाने पड सकते हैं क्योंकि इस मामले में भी सुशांत केस की तर्ज पर बॉडी जलाई जा चुकी है और क्राइम सीन गायब हो चुका है. साथ ही बड़े मामलों की जांच में सीबीआई का सक्सेस रेट भी अपने आप में सवालों के घेरे में हैं.


हाथरस गैंग रेप केस जिसे लेकर यूपी से लेकर दिल्ली तक खासा बवाल हुआ, आखिर में उस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की घोषणा कर दी गई. नियम के मुताबिक राज्य सरकार द्वारा आदेश जारी किए जाने के बाद यह फाइल इस सप्ताह केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के पास पहुंचेगी जहां से इस पर केंद्र सरकार सीबीआई जांच के आदेश जारी करेगी और फिर सीबीआई हाथरस पुलिस का मुकदमा रीरजिस्टर्ड कर अपने यहां जांच शुरू करेगी.


सीबीआई के एक आला अधिकारी के मुताबिक सुशांत और हाथरस रेप केस अपने आप मे अलग-अलग मामले हैं लेकिन दोनों में अनेक समानताएं हैं. मसलन सुशांत मामले में भी पुलिस जांच पर सवाल खड़े हुए थे और इस मामले में भी, सुशांत मामले में बॉडी तुरंत जला दी गई और इस मामले में भी. लिहाजा सीबीआई को इस मामले की जांच में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.


सुशांत केस की तर्ज पर इस मामले में मौका-ए-वारदात का क्राइम सीन पूरी तरह से गायब हो चुका है और उसकी जगह जो फोटो लिए गए हैं केवल वही सामने होंगे. अधिकारी का मानना है कि मौका ए वारदात से लिए गए फोटो और सामने मौजूद डेड बॉडी में खासा अंतर होता है. सीबीआई के पूर्व एसपी एनएस खडायत के मुताबिक सीबीआई के पास मामला तभी आता है जब प्राइमरी एविंडेस खत्म हो जाते  हैं जो जांच में अपनी खासी अहमियत रखते हैं.


पुलिस के पूर्व आला अफसरों का भी मानना है कि हाथरस रेप केस मे आरंभिक तौर पर देखने में पुलिस के साथ-साथ डाक्टरों की लापरवाही भी सामने आई है. पूर्व डीजी दिवाकर प्रसाद के मुताबिक इस मामले मे पुलिस के साथ -थ डाक्टरों की भी लापरवाही है क्योंकि जब पीड़िता पहली बार अस्पताल पहुंची थी तभी उसके सारे मेडिकल टेस्ट हो जाने चाहिए थे और  इस मामले में जब पीड़िता गैंगरेप की बात कह रही है तो उसका बयान अपने आप में खासा अहम है, पता नहीं यूपी पुलिस इस मामले में प्रोफेशनली क्यों ऐसा कर रही थी.


केंद्र द्वारा नोटिफकिशेन जारी किए जाने के बाद तय किया जायेगा कि इस मामले की जांच के लिए कोई एसआईटी बनेगी या विशेष अपराध शाखा इस मामले की जांच करेगी. ध्यान रहे कि सीबीआई का चर्चित मामलों में जांच का रिकार्ड बेहद खराब रहा है. मसलन...


सुशांत मौत मामला
इस मामले ने जून महीने से पूरे देश मे हंगामा मचाया हुआ है. सीबीआई को भी इस मामले की जांच करते हुए 50 दिन पूरे होने जा रहे हैं लेकिन सीबीआई अभी तक अधिकारिक तौर पर कोई बयान जारी नहीं कर पाई है कि सुशांत का केस हत्या का है या आत्महत्या का.


झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता शिबू सोरेन के पीए शशिनाथझा मर्डर केस 
शशिनाथ झा का नाम उस समय सुर्खियों में आया था जब झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए रिश्वत दिए जाने की बातें हो रही थी. यह भी कहा जा रहा था कि यह मामला प्रकाश में आने के बाद शशिनाथ को जान से मारने की धमकियां दी जा रही थीं. शशिनाथ का राजधानी दिल्ली में ही कथित रूप से साल 1994 में अपहरण कर लिया गया था और उसके बाद पुलिस को एक कंकाल बरामद हुआ था जिसे शशीनाथ झा का बताया गया.


सीबीआई ने इस मामले की पूरी जांच की और जांच के बाद शिबू सोरेन समेत चार लोगों को आरोपी बना कर आरोपपत्र कोर्ट में पेश कर दिया निचली अदालत ने शिबू सोरेन को सजा सुना दी लेकिन उसके फौरन बाद हाईकोर्ट ने शिबू सोरेन समेत चारों आरोपियों को यह कह कर छोड़ दिया गया कि सीबीआई सबूत पेश करने में विफल रही है और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपनी मोहर लगा दी.


जेएनयू छात्र नजीब मामला
जेएनयू का छात्र नजीब अक्टूबर 2016 में रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था और यह आरोप लगाया गया कि उसे एक दूसरी पार्टी के लोगों ने अगवा कर लिया है. इस मामले को लेकर जेएनयू में काफी आंदोलन चले और दिल्ली पुलिस पर विफलता के आरोप लगाए गए बाद में यह मामला भी जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई ने इस मामले में गहन जांच की और जांच के बाद मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी. आज तक नजीब का कोई पता नहीं चल सका है.


पंजाब का वरगाड़ी मामला
इस मामले में सिखों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया था और बाद में मामला जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया गया था सीबीआई ने इस मामले में तीन मुकदमे दर्ज किए थे. सीबीआई की जांच के दौरान ही मामले के मुख्य आरोपी मोहिंदर पाल की नाभा जेल में हत्या हो गई और इसके बाद सीबीआई ने इन तीनों मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. इस मामले को लेकर पंजाब की राजनीति में अच्छा खासा हंगामा हुआ था.


नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड
सीबीआई के पास यह मामला मुंबई पुलिस से ट्रांसफर होकर साल 2014 में जांच के लिए आया था सीबीआई ने इस मामले की गहन जांच शुरू की लेकिन आज तक हत्यारा कौन है कहां है इस बारे में सीबीआई किसी को गिरफ्तार नहीं कर पाई है.


व्यापम केस
मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले में आरोप था कि इस मामले में  बड़े पैमाने पर परीक्षाओं में धांधली की गई और जब मामला खुला तो 54 लोगों की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई जिसमें एक टीवी चैनल का पत्रकार भी शामिल था जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंपा गया और सीबीआई ने इस मामले में बाकायदा दिल्ली से ले जाकर अपनी बड़ी-बड़ी टीमें जांच के लिए नियुक्त कीं, कैंप ऑफिस लगाए गए और जोर-शोर से जांच की गई. अंत में सीबीआई एक भी मौत को साबित नहीं कर पाई और  क्लोजर  रिपोर्ट लगा दी ‘नो वन किल्ड इन व्यापम’


वीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला
इस घोटाला कांड में आरोप है कि रिश्वत का पैसा बड़े-बड़े राजनेताओं तक गया सीबीआई ने इस मामले में बड़े-बड़े दावे भी किए लेकिन आज तक सीबीआई इस मामले में राजनेता तो दूर एक स्थानीय नेता को भी पकड़ नहीं पाई है और ना ही किसी के खिलाफ कुछ साबित कर पाई है.


हाथरस रेप मामले में अब पूरा देश जानना चाहता है कि सच्चाई क्या है ये मामला गैंगरेप का है या नहीं परिवार अपने बयान क्यों बदलता रहा? क्या उसपर पुलिस प्रशासन का दवाब था या फिर वो कोई भेद छुपाना चाहता था? जिन चार आरोपियों की गिरफ्तारी हुई क्या वास्तव मे वो सारे दोषी हैं? पुलिस प्रशासन ने रात को पीड़िता की लाश परिवार की गैरमौजूदगी मे क्यों जलाई?


ऐसे तमाम सवालों के जवाब और सबूत सीबीआई को खोजने पड़ेंगे और एक बार फिर सीबीआई की साख दांव पर है.


यह भी पढ़ें:


Hathras Case: भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने पीड़ित परिवार से की मुलाकात, हाथरस कांड की जांच को लेकर कही बड़ी बात