नई दिल्ली: हाथरस मामले को लेकर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने बयान जारी कर कहा है कि उसपर लगाए गए आरोप यूपी सरकार द्वारा अपनी विफलता से ध्यान हटाने की कोशिश है. जातीय या सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने की साजिश का आरोप लगाकर पॉपुलर फ्रंट को जोड़ने की कोशिश पूरी तरह से आधारहीन और हास्यास्पद है.


बयान में कहा गया है कि पीड़ित लोगों के परिवार से मिलने के लिए चार लोगों को गिरफ्तार करके एक सनसनीखेज खबर बनाई गई थी. गिरफ्तार किए गए चार लोगों में से दो छात्र संगठन के सीएफआई के नेता थे और एक अन्य व्यक्ति सिद्दीक कप्पन एक पत्रकार और केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सचिव हैं.


इसके साथ ही बयान में कहा गया कि ये गिरफ्तारियां साबित करती हैं कि यूपी में पीड़ितों के परिवार से मिलने का इरादा भी अपराध है. सीएए के विरोध के दौरान उसी यूपी पुलिस ने आरोप लगाया था कि पॉपुलर फ्रंट की यूपी राज्य एडहॉक कमेटी के सदस्य हिंसा के मास्टरमाइंड हैं, लेकिन अदालत में बुरी तरह विफल रहे और सभी को जमानत पर रिहा कर दिया गया. आरोप सिर्फ यूपी सरकार को बचाने के लिए लगाए गए हैं.


पीएफआई ने कहा कि दिल्ली दंगा मामला भी दिल्ली पुलिस के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गया जब दिल्ली पुलिस के फर्जी आरोपों में गिरफ्तार दो नेताओं को एक दिन के भीतर ही रिहा कर दिया गया. अब तक पॉपुलर फ्रंट से संबंधित कोई भी दिल्ली में या यूपी में हिंसा से संबंधित नहीं है, जो खुद एक सबूत है कि पूरे आरोप गढ़े गए थे. यहां तक कि एनआईए और ईडी के निष्कर्षों से भी बहुत कुछ पता नहीं चल पाया. इस मामले में भी वही होगा जब पुलिस से सबूत मांगे जाएंगे.


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