हाथरस रेप और हत्या की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा. सामाजिक कार्यकर्ता सत्यम दुबे और दो वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने शीर्ष कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में उत्तर प्रदेश के अधिकारियों द्वारा मामले से निपटने में विफलता का आरोप लगाया गया है. इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच करेगी. वहीं यूपी सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को जनहित याचिका को लंबित रखते हुए हाथरस रेप केस की सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए.


याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि महिला और उसके परिवार के साथ घोर अन्याय हुआ है. पीड़िता की लाश को पुलिस ने परिवारवालों की सहमति के बिना जलाया था.


याचिका में कहा गया, “मृतका के परिवार के सदस्यों की सहमति के बिना पुलिस कर्मियों ने शव का अंतिम संस्कार किया. पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया है और आरोपी व्यक्तियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं. पीड़िता के साथ घोर अन्याय किया गया था और प्रशासन इस मुद्दे पर चुप है."


19 वर्षीय दलित लड़की के साथ 14 सितंबर को कथित तौर पर चार पुरुषों द्वारा गैंगरेप किया गया था और उसकी हत्या करने की कोशिश की गई. 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मृत्यु हो गई थी. उसके शव का उत्तर प्रदेश पुलिस ने कथित तौर पर परिजनों की सहमति के बिना जल्दबाजी में अंतिम संस्कार कर दिया. हालांकि यूपी पुलिस ने इस दावे का खंडन किया है.


शीर्ष अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने केस को यूपी से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की. याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया, "मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंपा जा सकता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज के अधीन मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया जा सकता है. मामले की सुनवाई उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित की जानी चाहिए."


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