नई दिल्ली: दिल्ली के जंतर मंतर पर शुक्रवार को कोविड-19 महामारी के बाद से शायद सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ और वहां जुटे सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने हाथरस में कथित गैंगरेप की शिकार हुई युवती के लिए इंसाफ की मांग की.
इस बीच आपदा प्रबंधन अधिनियम के महामारी अधिनियम और 51 (बी) के तहत कई राजनीतिक दलों और विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया गया जो यहां पहुंचे थे. दिल्ली पुलिस ने इस बात की जानकारी दी. अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले को लेकर भी कुछ लोग यहां पहुंचे थे.
आपस में एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने और मास्क लगाने के स्वास्थ्य संबंधी नियमों की जमकर अवहेलना होती देखी गई. कुछ प्रदर्शनकारियों ने मास्क नहीं लगा रखा था. पुलिस वहां बड़ी संख्या में जुटे प्रदर्शनकारियों से आपस में दूरी बनाकर रखने और मास्क लगाने का आह्वान करती रही.
जंतर मंतर पर काफी संख्या में नागरिक समाज के कार्यकर्ता, छात्र, महिलाएं और राजनीतिक दलों के नेता जुटे. पहले यह प्रदर्शन इंडिया गेट पर होना था लेकिन राजपथ इलाके में निषेधाज्ञा के चलते प्रदर्शन स्थल बदलकर जंतर-मंतर कर दिया गया.
नेहा द्विवेद्वी नामक एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘ वे परिवार को चुप करा रहे हैं लेकिन वे लोगों को चुप नहीं करा पायेंगे. मैं कोविड-19 महामारी से डरी हुई हूं लेकिन हाथरस पीड़िता के वास्ते इंसाफ के लिए अपनी आवाज उठाना और महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि मैं इस बार बाहर निकलने के लिए बाध्य हुई.’’
शेफाली वर्मा ने कहा, ‘‘ मैं अपनी बेटी की सुरक्षा को लेकर डरी हुई है. मैं जानती हूं कि हम महामारी से लड़ रहे हैं लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि आज हम बलात्कार नामक दूसरी महामारी के खिलाफ अपनी आवाज उठाने के लिए आए हैं. हम उस बेटी के लिए इंसाफ चाहते हैं जिसे अपनी मौत में भी मर्यादा नहीं मिली.’’
लोगों ने अपने हाथों में मोमबत्तियां भी ले रखी थीं. वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. हाथों में ढपली लिए हुए वामपंथी विचारधारा वाले विद्यार्थियों ने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
पुलिस ने कहा था कि जंतर मंतर पर 100 तक प्रदर्शनकारियों के इकट्ठा होने की अनुमति है और उसके लिए सक्षम अधिकारी से पूर्वानुमति आवश्यक है. लेकिन प्रदर्शन स्थल पर 100 से अधिक प्रदर्शनकारी थे.
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