उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में हुए सत्संग हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार (3 जुलाई, 2024) को जनहित याचिका दाखिल की गई. याचिका में कहा गया कि यह घटना प्रशासन की विफलता को दिखाती है. इससे पता चलता है कि पिछले हादसों से भी कोई सबक नहीं लिया गया. 


जनहित याचिका में कहा गया कि ऐसे हादसे सबसे पहले तो प्रशासन की लापरवाही, जिम्मेदारियों में चूक और कर्तव्यों के प्रति गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को दर्शाते हैं. याचिका में यह भी कहा गया कि जानकारी मिली है कि सत्संग में जितनी भीड़ पहुंची थी, उसके हिसाब से सिक्योरिटी काफी कम थी. 


इसमें आगे कहा गया कि जिस बाबा के सत्संग में इतने लोग पहुंचे थे, वह अंडरग्राउंड है और उसके ठिकानों का भी कोई अता-पता नहीं है. इसके अलावा, याचिका में पुलिस और प्रशासन की व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं. 


मंगलवार को हाथरस के सिकंदराराऊ इलाके के फुलरई गांव में धर्मगुरु भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मच गई. इस हादसे में अब तक 121 लोगों की जान जा चुकी है और 28 लोग घायल हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. एफआईआर में बाबा के सेवादार  देवप्रकाश मधुकर का भी नाम शामिल है. हालांकि, बाबा का नाम मौजूद नहीं है.


यह एफआईआर नए आपराधिक कानून के तहत दर्ज की गई है. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याया संहिता के सेक्शन 105, 110, 126(2), 223 और 238 के तहत मामला दर्ज किया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बुधवार को घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों से भी मुलाकात की.


इससे एक दिन पहले सीएम योगी ने कहा था कि उनकी सरकार हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगातार उन्हें सजा जरूरी देगी. उन्होंने कहा कि यूपी सरकार पूरे मामले की जांच कर रही है और पता लगाने में जुटी है कि यह सिर्फ एक हादसा था या फिर कोई साजिश. साथ ही उन्होंने राजनीतिक दलों को भी निशाने पर लिया और कहा कि ऐसे हादसों पर राजनीति करना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. यह समय पीड़ितों को साहनुभूति देने का है. सरकार इस मामले को लेकर बेहद संवेदनशील है और दोषियों को सजा जरूर दी जाएगी.


यह भी पढ़ें:-
Hathras Stampede: हाथरस हादसे पर हाईकोर्ट का खटखटाया गया दरवाजा, PIL दाखिल कर CBI जांच की उठी मांग