हाथरस में भोले बाबा के सत्संग में 123 लोगों की मौत हुई है. मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं हैं. इस भगदड़ में अलीगढ़ के जितेंद्र ने अपनी मां को खो दिया है. हाथरस में हुए इस हादसे ने भोले बाबा के भक्तों की आंखों से अंधविश्वास का पर्दा हटा दिया है. जितेंद्र कहते हैं कि उन्हें पहले बाबा पर बहुत विश्वास था, लेकिन अब उन्हें भरोसा नहीं रहा. 


एबीपी न्यूज से बातचीत में जितेंद्र ने कहा, बाबा के सेवादार और सब लोग बताते थे कि बाबा के सत्संग में जाने से बीमारियां दूर हो जाती हैं. इसलिए पहले उन पर विश्वास था. लेकिन अब भरोसा नहीं रहा है. 


'बाबा पाखंडी है'


जितेंद्र की भाभी ज्योति ने कहा, अकेले मैंने अपनी मां को नहीं खोया. बहुत सारे बच्चे मारे गए. मेरा घर खाली हो गया. मैं ऐसे पाखंडी बाबा को मानती भी नहीं. एक जिंदा इंसान कोट पैंट, सोने की घड़ी पहनकर आ रहा है क्या वो भगवान हो सकता है. 


ज्योति ने कहा, अगर वो दोषी नहीं है तो सामने क्यों नहीं आ रहे हैं. उनका दिया हुआ पानी और धूल से लोग सही हो जाते थे तो इतने लोग घायल हैं, उन्हें ठीक कर दें. वे सामने भी नहीं आ रहे हैं. क्यों?

'तारीफ करने वाले बाबा के लोग'


ज्योति ने बताया, जो लोग उनकी तारीफ करते हैं, वे उन्हीं के लोग हैं. उन्होंने सबके दिमाग में बहम पैदा कर रखा है कि वे बहुत अच्छे हैं. वे लोग वीडियो नहीं बनाने देते. वहां फोन काम नहीं करता था. जैमर लगाकर रखा जाता था. जितेंद्र ने कहा, बाबा की फोटो के साथ 5 रुपये का पैन 50 रुपये में मिलता था. 


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