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Hathras Stampede: जितना निराला आध्यात्मिक संसार, उतना रहस्यमयी आर्थिक साम्राज्य, जानें बाबा ने कैसे बनाई करोड़ों की संपत्ति
Hathras Stampede: बाबा दावा करता है कि नारायण साकार हरि धाम किसी प्रकार का धन, दौलत, चंदा और चढ़ावा नहीं लेता है. इनके ट्रस्ट के नाम पर करोड़ों की जमीन के अलावा कई जिलों में भव्य आश्रम है.
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Narayan Sakar Hari Net Worth: उत्तर प्रदेश के हाथरस में जिस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद भगदड़ मची उसमें 121 लोगों की मौत हो गई. इस बीच बाबा के संपत्ति को लेकर बड़े खुलासे हुए हैं. बताया जा रहा है कि नारायण साकार हरि के पास सैकड़ों की संख्या में लग्जरी गाड़ियों के साथ-साथ करोड़ों की संपत्ति है. बाबा के पास जिलों में भव्य आश्रम है और इनके ट्रस्ट के नाम पर करोड़ों की जमीन भी है. ये आश्रम कासगंज, मैनपुरी, आगरा, कानपुर और ग्वालियर में है. इनकी चल अचल संपत्ति 100 करोड़ से ज्यादा की आंकी जा रही है.
बाबा के ट्रस्ट ने सैकड़ों बीघा जमीनें खरीदी
बाबा के किसी भी आश्रम की कीमत करोड़ों से कम नहीं है. उनके मैनपुरी के बिछवां आश्रम की जमीन की कीमत करीब 6 करोड़ रुपये के आसपास है. इसी तरह बहादुर नगर का आश्रम करीब चालीस बीघे में फैला हुआ है और वहां कई धर्मशालाएं भी बनाई गई है. बाबा ने नारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर सैकड़ों बीघा जमीनें खरीदी है. बाबा ने भक्तों के नाम पर करीब दर्जनों लग्जरी गाड़ियां भी खरीदी हैं.
बाबा दावा करता है कि नारायण साकार हरि धाम किसी प्रकार का धन, दौलत, चंदा और चढ़ावा नहीं लेता है, लेकिन बाबा की इस चालबाजी की गवाही आश्रम की दीवारें देती हैं. बाबा के आश्रम की हर एक दीवार पर चंदा देने वालों के नाम लिखे मिलते हैं. इन पर 10 हजार से लेकर 2 लाख 51 हजार तक दान देने वालों के नाम है, जबकि 10 हजार से कम दान करने वालों का नाम इस लिस्ट में एक भी नहीं है.
अलग-अलग आश्रम के लिए बनाया था कई ट्रस्ट
बाबा ने दान में मिली अकूत संपत्ति को रखने के लिए अलग-अलग ट्रस्ट बना रखा था. बाबा ने अलग-अलग आश्रम के लिए अलग-अलग ट्रस्ट भी बना रखा था. बाबा पैसा अपने नाम की बजाय ट्रस्ट के नाम रखता है और फिर उन्ही पैसों से आलीशान जीवन जीता था. बाबा के पास हजारों सेवादार, नौकर-चाकर और महिला-पुरुष सुरक्षाकर्मी हैं. बाबा के पास इतनी जमीन कहां से आई इसे लेकर बड़ा खुलासा है.
बाबा के पास करोड़ों की जमीनें दान में मिली हुई है. अगर बाबा को किसी भक्त ने दो चार बीघे जमीन दान दी तो बाबा के आदमी उसके अगल बगल के जमीनों के मालिकों से सम्पर्क करके जोर जबरदस्ती से या धर्म के नाम पर या बेहद कम दाम में उसे लिखा लेते थे और ये पैसा उनके भक्त देते थे. उनके इस काम में उस इलाके के अधिकारी और नेता भी सहयोग करते थे, क्योंकि बाबा के भक्त बाबा की एक आवाज पर वोट करते हैं.
बाबा के आश्रम में करोड़ों का चढ़ावा आता था. भक्त सोना, चांदी, पैसा सब चढ़ाते थे, बाबा जब प्रवचन करता था तब भी उसके इस आयोजन में चढ़ावे चढ़ाये जाते थे और एक अनुमान के हिसाब से बाबा की एक सभा और प्रवचन में एक दिन में कम से कम 15 से बीस लाख का चढ़ावा आता था. बाबा इन लाखों करोड़ों रुपये से अपने भव्य विलासी साम्राज्य को चलाता था.
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