Covaxin: 'यह भ्रामक और झूठ है', कौवैक्सिन को दबाव में जल्दी मंजूरी दिए जाने के दावों को सरकार ने किया खारिज
कोवैक्सीन की मंजूरी को लेकर मीडिया की कुछ खबरों को खारिज करते हुए टीका बनाने वाली कंपनी ने कहा, 'वो चुनिंदा लोगों और समूहों के जरिए सामने रखे गए परिणाम की निंदा करती है'. हमारे ऊपर दबाव नही था.
Bharat Biotech Covaxin: भारत के हेल्थ मिनिस्ट्री ने गुरुवार (17 नवंबर) को मीडिया रिपोर्ट्स को गलत कहा है, जिसमें दावा किया गया था, कोविड-19 वैक्सीन, कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक पर वैक्सीन को तेजी से विकसित करने के लिए कोई बाहरी दबाव नहीं था. रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया है कि वैक्सीन के लिए किए गए क्लिनिकल ट्रायल के तीन चरणों में कई इरेगुलेरिटीज पाई गई थीं. हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा, कोरोना वैक्सीन के रूप में कौवैक्सिन को सरकारी लाइसेंस देने के लिए साइंटिफिक अप्रोच और निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया है.
कौवैक्सिन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा, दुनियाभर में कौवैक्सिन की लाखों डोज लगाई जा चुकी हैं और इसने जबरदस्त परफॉर्म किया है और इसके निगेटिव प्रभाव बहुत ही कम रहे. भारत बायोटेक ने कहा, "टीके के कारण मायोकार्डिटिस या थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (प्लेटलेट के कम होने का कोई भी मामला सामने नहीं आया है.
कौवैक्सिन की मंजूरी को लेकर मीडिया की कुछ खबरों को खारिज करते हुए वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कहा, "वो चुनिंदा लोगों और समूहों के जरिए सामने रखे गए परिणाम की निंदा करती है. उसने कहा, ऐसे लोगों और समूहों की टीका या टीका साइंस में कोई विशेषज्ञता नहीं हैं". कंपनी के अनुसार को वैक्सीन को तेजी से विकसित करने के लिए कोई बाहरी दबाव नहीं था. इस प्रेस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और विश्व स्तर पर जीवन और आजीविका बचाने की खातिर, कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका विकसित करने के वास्ते सभी दबाव आंतरिक थे.
#HealthForAll
— Ministry of Health (@MoHFW_INDIA) November 17, 2022
𝗠𝘆𝘁𝗵𝘀 𝗩𝘀 𝗙𝗮𝗰𝘁𝘀
✅ Media Reports claiming regulatory approval for Covaxin was rushed due to Political Pressure are Misleading and Fallacious https://t.co/K4EwCFwxD1 pic.twitter.com/xGeeEizYXT
सरकार ने रिपोर्ट्स को गलत बताया
भारत सरकार ने इस को वैक्सीन की मंजूरी को लेकर जवाब देते हुए कहा, "कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का दावा किया जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के कारण को वैक्सीन को रेगुलेटरी अप्रूवल देने में जल्दबाजी की गई. ये सभी रिपोर्ट्स झूठी, भ्रामक और गलत हैं. सरकार ने कहा, कोरोना वैक्सीन के रूप में को वैक्सीन इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी देने के लिए साइंटिफिक अप्रोच और निर्धारित मानदंडों का पालन किया गया है.
जरूरी सूचना के बाद मिली मंजूरी
कौवैक्सिन के क्लिनिकल परीक्षण में जिन अवैज्ञानिक बदलावों का खबरों में दावा किया जा रहा है, वे भारत बायोटेक के तरफ से सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) को सूचनाएं देने के बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन की प्रोसेस का पालन करते हुए और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिक्स (DGCI)की मंजूरी से किए गए.
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, "भारत बायोटेक के तरफ से मुहैया कराए गए अतिरिक्त आंकड़ों और CDSCO के सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज कमीशन के अंतरिम प्रभावकारिता और सुरक्षा के विश्लेषणों के आधार पर क्लीनिकल ट्रायल मोड में कोविड-19 रोधी टीके के उपयोग की शर्त 11 मार्च, 2021 को हटा दी गई.
We condemn targeted narrative against COVAXIN put forth by a select few individuals and groups who have no expertise in vaccines or vaccinology. It is well known that they helped perpetuate misinformation and fake news throughout the pandemic: BharatBiotech pic.twitter.com/ilnxVBoot0
— ANI (@ANI) November 17, 2022
CDSCO की विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रीय नियामक ने कोवैक्सीन सहित अन्य कोविड-19 रोधी टीकों की आपात स्थिति में विभिन्न शर्तों और पाबंदियों के साथ उपयोग की अनुमति दी थी. CDSCO की विषय विशेषज्ञ समिति में पल्मनोलॉजी (श्वसनरोग), इम्युनोलॉजी (रोग प्रतिरोधक), माइक्रोबायोलॉजी, फार्माकोलॉजी, पिडियाट्रिक्स (शिशु रोग), इंटरनल मेडिसिन आदि विषय के विशेषज्ञ होते हैं.
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