जयपुरः राजस्थान के सियासी संग्राम को लेकर अब कोर्ट में सुनवाई जारी है. राजस्थान हाई कोर्ट में कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों की याचिका पर कोर्ट सुनवाई हो रही है. मामले में सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों ने कोर्ट के सामने दलील रखते हुए कहा है कि उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री की 'तानाशाही' के खिलाफ आवाज उठाई थी, जो कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है और इसे दल-बदल नहीं माना जा सकता.
सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष के अयोग्य ठहराने वाले नोटिस के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर शुक्रवार 17 जुलाई को दोपहर 1 बजे से सुनवाई शुरू हुई.
पायलट गुट की ओर से पेश हो रहे साल्वे
जोधपुर हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में चल रही सुनवाई हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस इंद्रजीत मोहंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की डिविजन बेंच इसकी सुनवाई कर रही है. राजस्थान सरकार की ओर से इस मामले में एजी महेंद्र सिंह सिंघवी पेश हुए हैं. वहीं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी अन्य वकील इस सुनवाई के लिए जुटे हैं.
वहीं सचिन पायलट और उनके साथी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हो रहे हैं. साल्वे ने कोर्ट के सामने दलील रखते हुए कहा, "पार्टी ने विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों के पेश होने को लेकर जो व्हिप जारी किया था, वो गलत था, क्योंकि व्हिप किसी घर या होटल में होने वाली बैठक पर लागू नहीं होता, बल्कि सिर्फ विधानसभा के अंदर की कार्यवाही के लिए जारी होता है."
शुक्रवार शाम तक देना है पायलट गुट को जवाब
सचिन पायलट के खिलाफ बुधवार को हुई कार्रवाई से पहले 2 बार विधायक दल की बैठक के लिए कांग्रेस की ओर से व्हिप जारी किया गया था, लेकिन पायलट और उनके समर्थक विधायक इसमें शामिल नहीं हुए. माना जा रहा है कि व्हिप का उल्लंघन मानते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने अयोग्य ठहराने संबंधी कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
खास बात ये है कि विधानसभा स्पीकर ने पायलट समेत सभी 19 विधायकों को शुक्रवार शाम तक ही नोटिस का जवाब देने का समय दिया हुआ है.
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