नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सीबीआई जज लोया की मौत पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने मौत के हालात को संदिग्ध बताते हुए एसआईटी जांच की मांग की है. जबकि महाराष्ट्र सरकार ने जांच की मांग को निराधार बताया है. महाराष्ट्र सरकार की दलील है कि लोया की मौत स्वभाविक थी. महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि 4 जजों ने मौत के वक्त उनके साथ होने का बयान दिया है. इन जजों की बात पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं है.


मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा मामले की सुनवाई करेंगे. महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि स्वतंत्र जांच की मांग कर रही याचिकाएं मीडिया रिपोर्ट्स से प्रेरित हैं. इन मीडिया रिपोर्ट्स में एक राजीनितिक दल के एक बड़े नेता का नाम शामिल है जिसकी वजह से ये याचिकाएं दायर की जा रही हैं.


क्या है पूरा मामला?


जज लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी. उनकी मौत तब हुई थी जब वे अपनी साथ काम करने वाले एक व्यक्ति की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे. यह मामला तब सामने आया जब उनकी बहन ने भाई की मौत पर सवाल उठाए थे.


बहन के सवाल उठाने के बाद मीडिया की खबरों में जज लोया की मौत और सोहराबुद्दीन शेख केस से उनके जुड़े होने की परिस्थितियों पर संदेह जताया गया था. सोहराबुद्दीन केस में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह आरोपी थे. बाद में उन्हें सीबीआई ने क्लिनचिट दे दी थी.


क्या है सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला


गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीदास प्रजापति के नवंबर 2005 में हुए कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मियों समेत कुल 23 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई ट्रांसफर किया गया. जज लोया इसी केस की सुनवाई कर रहे थे.