नई दिल्ली: महाराष्ट्र के CBI जज लोया की मौत पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने मौत के हालात को संदिग्ध बताते हुए जांच की मांग की थी, जबकि महाराष्ट्र सरकार ने जांच की मांग को निराधार बताया है.


महाराष्ट्र सरकार की दलील है कि लोया की मौत स्वभाविक थी. साथ ही कहा था कि चार जजों ने मौत के वक्त उनके साथ होने का बयान दिया है. इन जजों की बात पर भरोसा न करने की कोई वजह नहीं है.


क्या है पूरा मामला?
जज लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी, जब वह अपनी एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे. यह मामला तब सामने आया जब उनकी बहन ने भाई की मौत पर सवाल उठाए थे. बहन के सवाल उठाने के बाद मीडिया की खबरों में जज लोया की मौत और सोहराबुद्दीन केस से उनके जुड़े होने की परिस्थितियों पर संदेह जताया गया था.


सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर का है ये मामला
गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीदास प्रजापति के नवंबर 2005 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मी समेत कुल 23 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई ट्रांसफर किया गया. जज लोया इस केस की सुनवाई कर रहे थे.