Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी विवाद पर सेशंस कोर्ट से ट्रासंफर होने के बाद आज पहली बार वाराणसी जिला अदालत में सुनवाई हुई. जिला जज अजय कुमार विश्वेश की कोर्ट में पहली बार केस ओपन हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालत को 8 हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का निर्देश दिया है. ज्ञानवापी मामले पर वाराणसी कोर्ट में सुनवाई से पहले अदालत के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में दोनों पक्षों के वकील समेत 23 लोग मौजूद रहे.


23 लोगों में 4 याचिकाकर्ता भी कोर्ट रूम में रहे. इनमें लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक मौजूद थे. कोर्ट रूम के अंदर लोगों में लक्ष्मी, सीता साहू , मंजू व्यास, रेखा पाठक, मोहम्मद तौदीद, अभय यादव मुस्लिम पक्ष के वकील, मेराज फारूकी, मुमताज अहमद, हिन्दू पक्ष के वकील मदन मोहन, रइस अहमद, हिन्दू पक्ष सुधीर त्रिपाठी, वरिष्ठ वकील मान बहादूर सिंह, विष्णु जैन, सुभाष चतुर्वेदी, सरकारी वकील महेंद्र प्रसाद पांडेय मौजूद रहे.


आज की सुनवाई में क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान जज ने सभी पक्षों के आवेदन के बारे में जानकारी ली. मुस्लिम पक्ष के ऑर्डर 7, रूल 11 (मेंटनेबिलिटी) आवेदन के बारे में भी सुना. कमीशन की रिपोर्ट के बारे में भी पता किया. जिला जज ए के विश्वेश की अदालत ने सोमवार को इस बात को लेकर अपना फैसला मंगलवार तक के लिए सुरक्षित रखा कि किस मामले पर पहले सुनवाई होगी. 


किसने क्या दलील दी?
हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में दोनों पक्षों की ओर से कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. किस याचिका पर पहले सुनवाई होगी, जिला न्यायाधीश ए.के. विश्वेव की अदालत इस पर मंगलवार को फैसला सुनायेगी.  उन्होंने बताया कि हिन्दू पक्ष की ओर से कहा गया है कि आयोग की कार्रवाई पहले हुई है, इसलिए मुस्लिम पक्ष इस पर अपनी आपत्ति जताए. वीडियो और फोटो न मिलने से आपत्ति दाखिल करने में हिन्दू पक्ष ने असमर्थन जताया.


वहीं अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता मोहम्मद तौहीद खान ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने अदालत में याचिका दायर करके कहा है कि यह मुकदमा चलाने लायक नहीं है, इसलिए इसे खारिज किया जाये. मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि यहां सालों से नमाज होती रही है. जिसके जवाब में हिन्दू पक्ष ने कहा कि भले ही यहां नमाज होती रही है. लेकिन स्थान का मूल करैक्टर मन्दिर का ही है. वहीं आज वुजू पर कोई बहस नहीं हुई.


अजय मिश्रा को नहीं जाने दिया कोर्ट रूम
बता दें कि, पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को आज कोर्ट के अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई. अजय मिश्रा की रिपोर्ट सब्मिट हुई लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया. कोर्ट कर्मचारियों ने कहा है केवल उन्हें ही इजाजत दी जाएगी जिनका नाम वकालतनामे में होगा.  


मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल
इसी बीच कशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि उनका पक्ष भी सुना जाए. उन्होंने कहा है कि ये मामला सीधे तौर पर उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार से जुड़ा है. सदियों से वहां भगवान आदि विशेश्वर की पूजा होती रही है. ये सम्पत्ति हमेशा से उनकी रही है. किसी सूरत में सम्पत्ति से उनका अधिकार नहीं छीना जा सकता. 


उन्होंने कहा कि एक बार प्राण प्रतिष्ठा हो जाने के बाद मन्दिर के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने और यहां तक कि नमाज पढ़ने से भी मन्दिर का धार्मिक स्वरूप नहीं बदलता, जब तक कि विसर्जन की प्रकिया द्वारा मूर्तियों को वहां से शिफ्ट न किया जाए. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी दलील दी कि इस्लामिक सिद्धान्तों के मुताबिक भी मन्दिर तोड़कर बनाई गई कोई मस्जिद वैध मस्जिद नहीं है. 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप को निर्धारित करने से नहीं रोकता. उन्होंने अपनी याचिका में मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करने की मांग की है. 


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