भोपाल: भाषा: भोपाल की विशेष अदालत ने इन्दौर नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट बैट से कथित तौर पर पीटने और विरोध प्रदर्शन सहित कुल दो मामलों में गिरफ्तार बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय की जमानत अर्जी पर सुनवाई शनिवार को निर्धारित की है. साथ ही अदालत ने इन्दौर पुलिस को दोनों मामले की केस डायरी पेश करने के निर्देश दिये हैं.


शासकीय अधिवक्ता पीएन सिंह राजपूत ने बताया कि भोपाल की विशेष अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरेश सिंह ने शुक्रवार को यह आदेश दिए. गौरतलब है कि इन्दौर के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका गुरुवार को खारिज कर दी थी. उन्हें सलाह दी थी कि इस हेतु वह प्रदेश के सांसदों और विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिये निर्धारित की गई भोपाल की विशेष अदालत में अपील करें.


आकाश के वकीलों ने शुक्रवार को उनकी जमानत के लिये भोपाल की विशेष अदालत का रुख किया. विधायक विजयवर्गीय के वकील पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि उन्होंने विशेष अदालत में अपने मुवक्किल के लिये जमानत की अपील की है क्योंकि वह निर्दोष है. उन्होंने बताया कि याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने उनकी छवि खराब करने के लिए आकाश को झूठा फंसाया है और उनका (बीजेपी विधायक का) अपराधों से कोई लेना-देना नहीं है.


गौरतलब है कि जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के दौरान विवाद के बाद बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बुधवार को इन्दौर में नगर निगम के एक भवन निरीक्षक को कथित तौर पर क्रिकेट के बैट से पीट दिया था. आकाश (34) बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं और नवंबर 2018 का विधानसभा चुनाव में इन्दौर-3 विधानसभा सीट से जीतकर पहली बार विधायक बने हैं.


क्रिकेट बैट से कथित पिटाई मामले में पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद आकाश को बुधवार को इन्दौर के एक प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) के समक्ष पेश किया था. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बीजेपीपा विधायक की जमानत याचिका खारिज कर दी और उसे 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेज दिया. इसके बाद पुलिस द्वारा न्यायिक हिरासत के तहत इन्दौर की जेल में बंद बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के पुराने मामले में गुरुवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया.


एमजी रोड थाने के प्रभारी राजेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि पुलिस की टीम आजाद नगर स्थित जिला जेल गयी और वहां बंद भाजपा विधायक को भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारीअधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत कुछ दिन पहले दर्ज मामले में औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया.


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