राजस्थान उच्च न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस के खिलाफ असंतुष्ट विधायकों की याचिका पर सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी. इससे सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों को जारी अयोग्यता नोटिसों पर विधानसभा अध्यक्ष की किसी कार्रवाई से शुक्रवार को चार दिनों के लिए राहत मिल गई. असंतुष्ट विधायकों की याचिका की सुनवाई कर रही खंडपीठ ने शुक्रवार शाम मामले की सुनवाई स्थगित कर दी और इसकी अगली सुनवाई के लिए सोमवार पूर्वाह्न 10 बजे का समय निर्धारित किया है.
विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक नोटिस पर कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा. अदालत के बाहर भी संबंधित घटनाक्रम में सरगर्मियां तेज रहीं . राजस्थान सरकार ने एक ऑडियो क्लिप मामले में जांच के लिए ‘विशेष आपरेशन बल’ (एसओजी) की एक टीम को हरियाणा के मानेसर भेजा जहां पर एक होटल में असंतुष्ट विधायकों के होने की संभावना जतायी गयी थी.
कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर सामने आईं दो ऑडियो क्लिप का हवाला दिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की गिरफ्तारी की मांग करते हुए आरोप लगाया कि एक वीडियो में वह राज्य में कांग्रेस सरकार को गिराने की साजिश पर बातचीत करते हुए सुने गए. वहीं, कांग्रेस ने दो बागी विधायकों- हटाए गए मंत्री विश्वेंद्र सिंह और भंवरलाल शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया. राजस्थान पुलिस के समक्ष दर्ज अपनी प्राथमिकी में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ऑडियो में शर्मा की आवाज भी सामने आयी.
शेखावत और भंवरलाल शर्मा दोनों ने रणदीप सुरजेवाला द्वारा संवाददाता सम्मेलन में लगाए गए आरोपों से इनकार किया है. ऑडियो क्लिप में जिक्र किए गए तीसरे व्यक्ति संजय जैन को रात में गिरफ्तार कर लिया गया.
इस बीच, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एसओजी) अशोक राठौड़ ने बताया कि ऑडियो क्लिप के संबंध में दर्ज प्राथमिकी के मामले में असंतुष्ट विधायकों से पूछताछ के लिए एसओजी की एक टीम मानेसर के एक होटल के लिए गयी. हालांकि, हरियाणा पुलिस ने राजस्थान पुलिस की टीम को मानेसर के होटल में प्रवेश करने से रोक दिया. राठौड़ ने बताया कि पुलिस की टीम को बाद में रिसेप्शन पर बताया गया कि विधायक वहां नहीं हैं और वे वापस लौट गए .
अदालत में पायलट खेमे ने दलील दी है कि पार्टी का व्हिप तभी लागू होता है जब विधानसभा का सत्र चल रहा होता है. विधानसभा अध्यक्ष को दी गई अपनी शिकायत में कांग्रेस ने पायलट और अन्य बागी विधायकों के खिलाफ संविधान की 10वीं अनुसूची के पैराग्राफ 2(1)(ए) के तहत कार्रवाई करने की मांग की है.
विधायक सदन में जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, उसकी सदस्यता यदि अपनी मर्जी से त्याग देते हैं तो यह प्रावधान उक्त विधायक को अयोग्य करार देता है. कांग्रेस का दावा है कि विधायकों के आचरण से यही मतलब निकलता है. लेकिन, असंतुष्ट खेमे ने कहा कि पायलट ने पार्टी छोड़ने के इरादे के बारे में कभी संकेत नहीं दिया है.
राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत करने के बाद पायलट को उप मुख्यमंत्री पद से और प्रदेश कांग्रेस इकाई प्रमुख पद से बर्खास्त कर दिया गया था. उधर, भाजपा के राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ऑडियो टेप विवाद में कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी के मुखिया और यह पूरी राज्य सरकार भाजपा की मानहानि करने के लिए इस तरीके के उपक्रम रचती है.
पूनिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘आज गजेन्द्र सिंह शेखावत ने खुद कहा कि इस ऑडियो टेप की जांच दुनिया की कोई एजेंसी कर ले वह तैयार हैं... इसका मतलब साफ है कांग्रेस पार्टी के मुखिया और यह पूरी राज्य सरकार भाजपा की मानहानि करने के लिए इस तरीके के उपक्रम रचती है.'’