नई दिल्ली: ''अगर सरकार सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ सही लोगों तक पहुंचाने के लिए बायोमैट्रिक का इस्तेमाल करती है तो इसमें क्या गलत है?" "क्या याचिकाकर्ता ये कहना चाहता है कि अब तक आधार के लिए जुटाए गए आंकड़े नष्ट कर दिए जाएं?"
ये कुछ अहम सवाल थे जो आधार योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछे. इस मसले पर पांच जजों की संविधान पीठ में सुनवाई का आज पहला दिन था. पूरा दिन याचिकाकर्ता पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने जिरह की.
सुबह साढ़े 11 बजे बहस की शुरुआत करते हुए दीवान ने कहा, "आधार को लेकर अलग अलग विभागों के बहुत से सर्क्युलर और नोटिफिकेशन हैं. हम सब पर बात करेंगे. लेकिन सबसे पहले आधार योजना की संवैधानिकता को चुनौती देना चाहते हैं." उन्होंने कहा, "आधार बनाने के लिए बायोमेट्रिक्स जुटाना सीधे सीधे निजता के अधिकार का हनन है. अगर कोई अपना फिंगर प्रिंट नहीं देना चाहता तो उसे आखिर कैसे बाध्य किया जा सकता है? वैसे तो आधार कार्ड बनवाने को ज़रूरी नहीं बताया जाता है. लेकिन तमाम सरकारी कामों के लिए इसे अनिवार्य बना दिया गया है."
श्याम दीवान ने इस योजना के चलते लोगों के जीवन मे सरकार की बढ़ती दखलंदाज़ी का भी हवाला दिया. उन्होंने कहा, "संविधान ने सरकार और लोगों के बीच एक संतुलन बना कर रखा था. इस योजना के बाद सरकार सर्वशक्तिमान नज़र आती है. वो ये जान सकती है कि किसी ने अपने बैंक खाते में कितने पैसे डाले, कितने निकाले. कोई कहाँ गया, उसकी क्या गतिविधियां रहीं, सब सरकार जान सकती है."
दीवान ने आधार के लिए जुटाए गए बायोमेट्रिक आंकड़ों के लीक होने का सवाल उठाते हुए कहा, "पूरा UIDAI 115 लोग और 38 सपोर्टिंग स्टाफ चला रहे हैं. कई बार UIDAI से आंकड़े लीक होने की खबरें आई हैं."
वरिष्ठ वकील ने कहा अलग-अलग वजहों से कई लोगों के आधार कार्ड नहीं बन पाए हैं. देश मे 15 फीसदी आबादी ऐसे लोगों की है जो शारीरिक मेहनत वाला काम करते हैं. उनके फिंगर प्रिंट अक्सर स्पष्ट नहीं होते. 15 से कम और 60 से ज़्यादा उम्र के लोगों के फिंगर प्रिंट साफ नहीं होते. लगभग 6 करोड़ लोगों के आधार कार्ड अस्पष्ट फिंगर प्रिंट के चलते नहीं बन पाए."
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच कर रही है. बेंच ने पूछा कि बायोमेट्रिक जानकारी भारत में आधार के लिए देने और अमेरिका के वीज़ा के लिए इसे देने में क्या फर्क है. हालांकि, चीफ जस्टिस ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता ये साबित कर सके कि आधार योजना मौलिक अधिकारों का हनन करती है, तो अदालत ज़रूर दखल देगी. सुनवाई कल भी जारी रहेगी.