इंटरनेट की मदद से देखने-सुनने में अक्षम बच्चा दस साल बाद अपने परिजनों से दोबारा मिल गया. उसने लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट का इस्तेमाल कर परिजनों से संपर्क साधा. देखने-सुनने में अक्षम पटियाला स्कूल के 11 वीं क्लास के छात्र को फेसबुक पर एक दोस्त का नाम याद था. उसने अब्दुल के परिजनों से मिलाने में मदद की.
2010 में अब्दुल लतीफ फतेहगढ़ साहिब में एक सिख गुरनाम को रोते हुए मिला था. उस वक्त अब्दुल लतीफ की उम्र आठ साल थी. दस साल बाद अब उसने लॉकडाउन के दौरान स्कूल की तरफ से इंटरनेट की सुविधा का इस्तेमाल किया. यूपी के फरुखाबाद निवासी बच्चे को फेसबुक पर अपने पुराने दोस्त का नाम याद था. उसने अब्दुल लतीफ के परिजनों से मिलाने में बच्चे की मदद की.
इंटरनेट के जरिए परिजनों से मिला मासूम
अब्दुल के पिता ताहिब अली पटियाला स्कूल में बुधवार को अपने बेटे से मिलने पहुंचे. उन्होंने कहा, “गाजियाबाद में गुम हुए बच्चे की तलाश में जमीन आसमान एक कर दिया गया. मुझे नहीं मालूम बच्चा फतेहगढ़ साहिब कैसे पहुंचा.” इस दौरान अब्दुल की मां सलमा ने अपने बेटे के बारे में जानने के लिए कई बार कॉल किया. उस वक्त बच्चे के पिता अपने बेटे को लेने के लिए पुलिस की कार्रवाई पूरी करने में मशगूल थे.
आठ साल की उम्र में परिजनों से बिछड़ा था
स्कूल के संचालक रिटायर्ड कर्नल कर्मिंदर सिंह ने कहा, “हम अपने बच्चों को सीमित संसाधन मुहैया कराते हैं. मगर लॉकडाउन में इंटरनेट की उपलब्धता को बढ़ा दिया गया जिससे उनको ऑनलाइन पढ़ने में मदद मिल सके. मगर अब्दुल ने इसका इस्तेमाल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने कुछ पुराने दोस्तों को तलाश करने में किया.” ताहिब ने गुरनाम परिवार और पटियाला स्कूल की सराहना की. उनका कहना है कि उन्होंने बच्चे को जन्म जरूर दिया मगर गुरनाम परिवार और स्कूल ने उसका पालन पोषण किया.
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