इन दिनों कोरोना संक्रमित मरीजों के हार्टअटैक आने के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में वेदांता हॉस्पिटल के चेयमैन डॉ नरेश त्रेहन ने एबीपी न्यूज से बातचीत मे बताया कि कैसे दिल का ख्याल रखें. डॉ त्रेहन ने कहा कि संक्रमण के तीन फेज हैं. पहले 5 से 7 दिन वायरस बॉडी में मल्टीप्लाई होता है. उसके बाद शरीर वायरस के अटैक को रिस्पॉन्ड करती है. इस वजह से बॉडी में इंफ्लेमेशन पैदा होता है. ऐसे में देखा गया है कि बॉडी का हर आर्गेन इफेक्टिड हो सकता है. पहले ऐसा लगता था कि ये वायरस फेफड़ों पर ही अटैक करता है. लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकी जो स्टडी इटली में की गई है. उसमें ऑटोप्सी से पता चला है कि ये वायरस किडनी पर भी मिला है और लीवर पर भी मिला है और ये हार्ट व ब्रेन पर भी इफेक्ट डालता है.


हार्ट पर मिले वायरस को भी तीन तरीकों में बांट सकते हैं


1-जिसको कोई हृदय रोगनहीं है- ऐसे लोगों को  संक्रमण की चपेट में आने के बाद ये ध्यान रखना है कि उनके हार्ट रेट और ब्लडप्रेशर पर क्या असर पड़ा है. क्योंकि देखा गया है कि कई मामलों में हार्ट रेट बढ़ जाता है तो कई में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. उन्हें हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाई लेनी चाहिए खुद से कोई दवा न लें.


2- जिन्हें हृदय रोग है लेकिन उन्हें हार्ट अटैक नहीं हुआ या कोई सर्जरी या फिर ऑपरेशन नहीं हुआ- ऐसे लोगों को रेग्यूलर दवाईयों के साथ-साथ ब्लड थिनर्स भी दिया जाता हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर उनमें इंफ्लेमेशन होता है तो उनमें ब्लड क्लॉटिंग का खतरा बढ़ेगा. ऐसे में उन्हें उस पीरियड के अंदर ब्लड थिनर्स दिया जाता है. ज्यादा इंफ्लेमेशन वाले केस में ब्लड थिनर्स दिया जाता है. माइल्ड व मॉडरेट केसेस में ये नहीं दिया जाता है.


3-जिनकी बाईपास सर्जरी हो चुकी है उनके लिए केयरफुल रहने की बहुत ज्यादा जरूरत है. उनकी रेग्यूलर दवाईयो को रिव्यू किया जाता है और उनको एंटी प्लेटलेट्स ड्रग दी जाती है. साथ ही उनको ओरल दवाईयां भी दी जाती है ताकि उनकी बॉडी में क्लॉटिंग न हो.


पल्स रेट 70-80 के बीच होनी चाहिए


डॉ त्रेहन ने कहा कि अगर कुछ मरीजों को लगे की उनकी सांस फूल रही है या ऐसा लगे कि उनकी दिल की धड़कने काफी तेज हो गई हैं तो ऐसे में ऑक्सीमीटर से फौरन चेक करें  अगर पल्स रेट ज्यादा आती है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें. क्योंकि इसके लिए दवाईयां हैं जिससे इसे कंट्रोल किया जा सकता है. उन्होंने ये भी बताया कि नॉर्मली पल्स रेट 70 से 80 के बीच में होता है. अगर ये पल्स रेट 90 या 100 के पार चली जाती है तो चिंता की बात है. उस स्थिति में अपने डॉक्टर से फौरन संपर्क करें.


संक्रमित यंग लोगों को हार्ट अटैक का खतरा


डॉक्टर त्रेहन ने ये भी कहा कि जो लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं या तो उनको हार्ट में कोई प्रॉब्लम नहीं होगी या माइल्ड होगी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देखा जा रहा है कि कोरोना संक्रमित हुए यंग एज के लोगों जिनमें 23 से 30 साल के युवा शामिल हैं उनके हार्ट पर इस वायरस का काफी प्रभाव पड़ा है. वायरस की वजह से संक्रमित युवा लोगों की हार्ट की पम्पिंग काफी नीचे देखी जा रही है.कई युवाओं की इस कारण मृत्यु भी हुई है.  इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि इस वायरस से हार्ट पर भी इफेक्ट पड़ सकता है. ऐसे में हर वक्त चौकन्ना रहें. अगर किसी को लक्षण नजर आ रहे हैं जैसे चेस्ट पेन हो रहा है, सांस फूल रही है, धड़कन बढ़ रही है तो अपने डॉक्टर से फौरन संपर्क करें


डॉक्टर त्रेहन के मुताबिक कोविड-19 वायरस फेफड़ों ही नहीं हर आर्गेन को इफेक्ट कर रहा है. इसकी वजह से ब्रेन और लीवर व हार्ट पर काफी प्रभाव पड़ता है. वायरस के कारण कई लोगों की किड़नी फेल हुई है. इस पर बहुत ध्यान दिए जाने की जरूरत है. और लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है.


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