Heart Attack: भारतीय मॉडल से अब पता चल सकेगा कि हार्ट अटैक के बाद किस मरीज की हालात ज्यादा खराब है और किस मरीज के मरने की आशंका अधिक बनी हुई है. दरअसल, आईआईटी दिल्ली समेत जीबी पंत अस्पताल ने एक मॉडल डेवलप किया है जिसकी मदद से अब ये पता चल सकेगा कि कि हार्ट अटैक के बाद कौन सा मरीज कितना समय जिंदा रह सकता है.
इस मॉडल का सबसे बड़ा लाभ ये माना जा रहा है कि जिन मरीज़ों के बचने की संभावना ज्यादा कम है उन पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा. वहीं, इंटरनैशनल जरनल ऑफ कार्डियोलॉजिस्ट ने अपने संस्करण में प्रकाशित किया. जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहित गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या बहुत अधिक है. अब तक हाई रिस्क और लो रिस्क का पता लगाने के लिए अमेरिकन स्कोर का इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन अब हमने अपना स्कोर डेवलप कर लिया है. डॉ. मोहित गुप्ता ने बताया कि, उनका तरीका बहुत ट्रेडिशनल था जिसे अब हमने आईआईटी दिल्ली के साथ मिलकर सिंपल ऑनलाइन कैलकुलेटर बनाया है.
हार्ट अटैक के ये हैं कुछ सामान्य लक्षण
बता दें, एक रिपोर्ट के मुताबिक, 35 साल के बाद हार्ट अटैक आने के मामले पिछले कुछ समय में काफी बढ़ गए हैं. कई बार हार्ट अटैक का पता नहीं चलता इसीलिए इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है. पहला अटैक आता है और लोग इसे समझ नहीं पाते. जब दूसरा अटैक आता है तो ये और गंभीर होता है और कई बार लोगों की जान चली जाती है.
कई बार हफ्तों या महीनों पहले से शरीर में कुछ ऐसे लक्षण दिखने लगते हैं जिससे हार्ट अटैक का पता लगाया जा सकता है. सीने में असहजता, सास लेने में तकलीफ, थकान, सूजन, चक्कर आना ये कुछ सामान्य लक्षण हैं.
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