Heatwave Latest News: एक तरफ दिल्ली-एनसीआर के लोग भीषण गर्मी और हीटवेव से परेशान हैं तो दूसरी तरफ साउथ इंडिया में खासकर बेंगलुरु में हो रही बारिश से वहां मौसम ठंडा बना हुआ है. इन सबके बीच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के एक अध्ययन में काफी दिलचस्प खुलासा हुआ है.
इस स्टडी में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में ह्यूमिडिटी में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण दिल्ली, मुंबई, चेन्नै, कोलकाता और हैदराबाद में गर्मी लगातार बढ़ रही है. स्टडी इसके लिए "अर्बन हीट आइजलैंड" प्रभाव को जिम्मेदार ठहराती है, जहां बिल्टअप एरिया ग्रीन कवर को कम करते हैं, भीड़भाड़ पैदा करते हैं, गर्मी को एब्जॉर्ब्ड करते हैं और मानवीय गतिविधियों से अतिरिक्त गर्मी पैदा करते हैं. इन सब वजहों से शहर के केंद्र अधिक गर्म हो जाते हैं, विशेषकर रात में. अधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी शरीर को ठंडा रखने वाले मैकनिज्म को प्रभावित करती है, जिससे लोग बीमार हो जाते हैं. बढ़ता तापमान और ह्यूमिडिटी मिलकर हीट इंडेक्स को बढ़ा रहा है, जो असुविधा की एक वजह है.
अधिकतर महानगरों में बढ़ी गर्मी
इस गर्मी में लंबे समय तक चलने वाली हीटवेव ने समस्या और बढ़ा दी है. अप्रैल में ओडिशा में 18 और पश्चिम बंगाल में 16 हीटवेव केस एक दिन में दर्ज किए गए हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली इस समय सबसे ज्यादा गर्मी का सामना कर रहे हैं और अभी यहां कम से कम तीन दिनों तक राहत की उम्मीद नहीं है. अध्ययन में पिछले दशक में अधिकांश महानगरों में औसत गर्मी की ह्यूमिडिटी में 5-10% की वृद्धि देखी गई, जिसमें हैदराबाद में 10% की उच्चतम वृद्धि देखी गई. मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में क्रमशः 8%, 7% और 5% की वृद्धि देखी गई. हालांकि इसमें बेंगलुरु अपवाद था.
दिल्ली में क्यों बरस रही आग
स्टडी और अन्य विश्लेषण से पता चलता है कि दिल्ली की अत्यधिक गर्मी सीधे तौर पर बिल्टअप एरिया (निर्मित क्षेत्रों) में वृद्धि से जुड़ी हुई है. जैसे-जैसे शहर का विस्तार हुआ है, बिल्टअप एरिया 2003 में 31.4% से बढ़कर 2022 में 38.2% हो गए हैं, शहरी गर्मी का तनाव बढ़ गया है. जबकि अधिक ग्रान कवर दिन के तापमान को कम करने में मदद करता है, यह रात के तापमान या बढ़ते ताप सूचकांक को प्रभावित नहीं करता है। इसकी वजह से ही शहर अधिक गर्म हो जाता है, विशेषकर रात में.
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