Hemant Soren Bail: 'ऐसे तो भानुमति का पिटारा खुल जाएगा, हर दिन कोई न कोई आएगा', कपिल सिब्बल की दलील पर भड़के एएसजी राजू
सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने हेमंत सोरेन के खिलाफ भूमि पर अवैध कब्जा रखने का धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कोई मामला नहीं बनता है.
भूमि घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर मंगलवार (21 मई) को सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू के बीच बहस हो गई. जहां कपिल हेमंत सोरेन की तरफ से जमानत की मांग कर रहे थे. वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से एस वी राजू पेश हुए और अंतरिम जमानत अर्जी का विरोध किया. इसी दौरान, दलील देते समय दोनों के बीच बहस हो गई.
एस वी राजू ने यह भी कहा कि हेमंत सोरेन के मामले की तुलना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से नहीं की जा सकती, जिन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई तक की अंतरिम जमानत दी गई है. एससी राजू ने कहा कि इस तरह तो हर दिन कोई न कोई गिरफ्तारी को चुनौती देगा और भानुमति का पिटारा खुल जाएगा.
कोर्ट ने हेमंत सोरेन से पूछा- कैसे दी जा सकती है जमानत
मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वेकेशन बेंच कर रही थी. पीठ ने हेमंत सोरेन से पूछा कि धन शोधन मामले में उनके खिलाफ ईडी की शिकायत पर निचली अदालत के संज्ञान लेने के बाद क्या संवैधानिक अदालत उनकी गिरफ्तारी की वैधता की पड़ताल कर सकती है. पीठ ने सोरेन के वकील से पहले यह बताने को कहा कि नियमित जमानत के लिए उनकी अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत कैसे दी जा सकती है,
कोर्ट ने सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अरुणाभ चौधरी से कहा, 'निचली अदालत ने अपराध किए जाने के संबंध में प्रथम दृष्टया रुख अपनाने के बाद, अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लेने के बाद एक न्यायिक आदेश पारित किया था. यदि इसे चुनौती नहीं दी गई है तो उस न्यायिक आदेश का क्या होगा? आपको हमें सहमत करना होगा, क्या संवैधानिक अदालत संज्ञान लेने का न्यायिक आदेश पारित होने के बाद गिरफ्तारी की वैधता की जांच कर सकती है.' दोनों वकीलों ने अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए बुधवार तक का वक्त मांगा
कपिल सिब्ब की दलील पर क्या बोले एएसजी राजू?
ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने सोरेन की अंतरिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अलग है. उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया एक मामला पाए जाने के बाद 4 अप्रैल को अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लिया था.
कपिल सिब्बल ने कहा कि हेमंत सोरेन के खिलाफ भूमि पर अवैध कब्जा रखने का धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत कोई मामला नहीं बनता है. उन्होंने कहा, 'मैं संवैधानिक कमजोरी का सवाल उठा रहा हूं. यह मेरी स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है. यह अनुच्छेद 21 के तहत मेरी स्वतंत्रता के अधिकार को छीनने के संबंध में है. जब कोई मामला ही नहीं बनता है, तो क्या मैं पीएमएलए के तहत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती क्यों नहीं दे सकता. यदि मेरे अधिकार प्रभावित होते हैं, तो संवैधानिक अदालत हस्तक्षेप कर सकती है.'
क्या बोले कपिल सिब्बल?
कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि अदालत सोरेन को अंतरिम राहत देने के लिए इच्छुक नहीं हैं, तो उसे यह मानना होगा कि जिस क्षण कोई आरोपी नियमित जमानत के लिए अर्जी दायर करता है, पीएमएलए की धारा 19 (गिरफ्तारी की शक्ति) को चुनौती देने का उसका अधिकार खत्म हो जाता है. पीठ ने कहा, 'हमें इस मुद्दे पर गहन चर्चा करने की जरूरत है और दोनों पक्षों से सहायता की जरूरत है. हमने अभी अपनी राय नहीं बनाई है.'
कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने 28 फरवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और तीन मई को अदालत ने फैसला सुनाया. हेमंत सोरेन की अर्जी की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए एस वी राजू ने पीठ से कहा, 'इस मामले की तुलना दूसरे मामले (केजरीवाल के मामले) से नहीं की जा सकती. अन्यथा, हर दिन कोई न कोई गिरफ्तारी को चुनौती देने आएगा और आपराधिक कार्यवाही ठप हो जाएगी. यह भानुमति का पिटारा खोल देगा.'
31 जनवरी को हुई थी हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी
राजू ने कहा कि केजरीवाल के मामले के विपरीत हेमंत सोरेन को 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से काफी पहले 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि सोरेन राज्य सरकार की मशीनरी का दुरूपयोग कर अपने खिलाफ धन शोधन मामले की जांच प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. इसने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत के उनके विशेष अनुरोध का विरोध किया है.
जांच एजेंसी ने कहा कि 31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है और उनकी नियमित जमानत अर्जी निचली अदालत ने 13 मई को खारिज कर दी थी. सोरेन ने 13 मई को, केजरीवाल के खिलाफ कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया था और अपने लिए भी इसी तरह की राहत देने का अनुरोध किया था.
अधिवक्ता प्रज्ञा बघेल के मार्फत दायर अपनी अपील में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता ने कहा है कि हाईकोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज करने में त्रुटि की. सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबद्ध है, जिस बारे में ईडी का आरोप है कि इसे उन्होंने अवैध तरीके से हासिल किया है. वह अभी रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं.
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