ED Evidence Against Hemant Soren: झारखंड के जमीन घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जिन सबूतों को पेश किया है उनमें स्मार्ट टीवी और फ्रिज के बिल भी शामिल हैं. ईडी ने दावा किया था कि हेमंत सोरेन ने 31 करोड़ रुपये ज्यादा की 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल की थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जांच एजेंसी को ये रसीदें रांची के दो डीलरों से मिली थीं और इन्हें जेएमएम नेता के साथ-साथ 4 अन्य के खिलाफ दायर चार्जशीट के साथ अटैच किया. रांची में जस्टिस राजीव रंजन की स्पेशल पीएमएलए कोर्ट ने 4 अप्रैल को अभियोजन की शिकायत पर संज्ञान लिया. ईडी ने हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था. वह फिलहाल रांची के होटवार की बिरसा मुंडा जेल के अंदर न्यायिक हिरासत में हैं.
इन लोगों के नाम पर लिए थे टीवी और फ्रिज
ईडी के मुताबिक, स्मार्ट टीवी और फ्रिज संतोष मुंडा के परिवारवालों के नाम पर खरीदे गए. संतोष मुंडा वही शख्स है जिसने ईडी को बताया था कि हेमंत सोरेन की 8.86 एकड़ जमीन की वो पिछले 14 से 15 सालों से देखभाल कर रहा था. ईडी ने संतोष मुंडा के बयान के आधार पर ही हेमंत सोरेन के उस दावे का खंडन किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि इस जमीन से उनका कोई लेना देना नहीं है. ईडी ने इस जमीन पर राजकुमार पाहन नाम के शख्स के दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसका इस्तेमाल एक मुखौटे के रूप में किया जा रहा है.
एजेंसी ने कहा कि फरवरी 2017 में मुंडा के बेटे के नाम पर एक रेफ्रिजरेटर खरीदा गया था, जबकि उनकी बेटी के नाम पर नवंबर 2022 में एक स्मार्ट टीवी खरीदा गया था.
ईडी ने टीवी फ्रिज की रसीदों को बनाया सबूत
ईडी ने इन दोनों बिलों को साक्ष्य के रूप में सूचीबद्ध किया है और उन्हें 'भरोसेमंद दस्तावेजों' श्रेणी के तहत आरोप पत्र के साथ संलग्न किया है क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सोरेन और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है.
191 पेज के आरोप पत्र में हेमंत सोरेन, राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानु प्रताप प्रसाद और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया गया है. ईडी ने इस जमीन को 30 मार्च को कुर्क कर लिया और इसकी कीमत 31.07 करोड़ रुपये से अधिक है.
जांच एजेंसी के अनुसार, ये जमीन मूल रूप से एक 'भुइंहारी' संपत्ति थी जिसे सामान्य परिस्थितियों में किसी को ट्रांसफर या बेचा नहीं जा सकता था और 'मुंडा' और 'पाहन' ऐसी जमीन के मालिक थे. ईडी ने दावा किया कि साल 2010-11 में हेमंत सोरेन ने इस जमीन पर अपना कंट्रोल कर लिया था. संतोष मुंडा ने ईडी को यह भी बताया कि हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने दो से तीन बार जमीन का दौरा किया और जब इस जमीन पर एक चारदीवारी बनाई जा रही थी, तब उसने एक मजदूर के रूप में काम किया था.
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