नई दिल्ली: दिल्ली के हेराल्ड हाउस पर अब सरकारी कब्ज़ा होगा. दिल्ली हाई कोर्ट ने एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL को 2 हफ्ते में इमारत खाली करने को कहा है. कोर्ट का आदेश सीधे-सीधे कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडिस और मोतीलाल वोरा के लिए झटका है क्योंकि AJL पर इन चारों की यंग इंडियन नाम की कंपनी का नियंत्रण है.


दिल्ली के आईटीओ इलाके में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस 56 साल से AJL के पास था. 1962 में AJL को नेशनल हेराल्ड नाम के अखबार के प्रकाशन के लिए लगभग 15 हज़ार वर्ग फ़ीट ज़मीन लीज पर दी गई थी. 2016 में ये पाया गया कि यहां कई सालों से अखबार के प्रकाशन से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं चल रही है. जिसके बाद लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस (L&DO) ने AJL को ब्रीच नोटिस जारी किया. जिसका कोई जवाब AJL ने नहीं दिया.


अप्रैल 2018 में L&DO ने इमारत का निरीक्षण किया और पाया कि उसके 4 फ्लोर व्यवसायिक कामों के लिए किराए पर दे दिए गए हैं. वहां पर प्रिंटिंग की कोई गतिविधि नहीं चल रही है. न ही अखबार से जुड़ा कोई काम हो रहा है।. जून 2018 में L&DO ने AJL को कारण बताओ नोटिस जारी किया. सितंबर 2018 में L&DO को जानकारी मिली कि AJL पर यंग इंडियन ने कब्जा कर लिया है. इसके बाद L&DO ने AJL को एक और कारण बताओ नोटिस जारी किया. किसी भी नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के बाद उसे इमारत खाली करने को कह दिया.


इसके बाद AJL ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. आज हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील गौर ने AJL को राहत देने से मना कर दिया. कोर्ट ने कहा कि L&DO का आदेश पूरी तरह सही है. AJL को अखबार के प्रकाशन के लिए जगह दी गई थी. लेकिन वो ऐसा नहीं कर रहा है। खुद AJL पर अब किसी और कंपनी का नियंत्रण हो गया है।.


दिल्ली हाईकोर्ट ने AJL को 2 हफ्ते के भीतर जगह खाली करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि अगर इस समय सीमा में जगह खाली नहीं होती है तो L&DO कानून के मुताबिक कार्रवाई करने को स्वतंत्र होगा.


कोर्ट ने 17 पन्नों के आदेश में आयकर विभाग की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है जिसमें AJL का कब्ज़ा यंग इंडियन को दिए जाने पर सवाल उठाए गए थे. कोर्ट ने लिखा है, "कांग्रेस पार्टी ने AJL को 90 करोड़ का ऋण दिया. इसकी वसूली का अधिकार 50 लाख रुपए में यंग इंडियन को सौंप दिया गया. इस तरह यंग इंडियन को AJL के 99 फीसदी हिस्से यानी करीब 413 करोड़ रुपए की संपत्ति पर कब्ज़ा मिल गया। ये पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में है."


कोर्ट ने ये भी माना है कि AJL नेशनल हेराल्ड के प्रकाशन से जुड़े सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया. उसने कहा कि नेशनल हेराल्ड साप्ताहिक अखबार है और उसका ऑनलाइन संस्करण भी उपलब्ध है. लेकिन AJL की तरफ से अखबार और वेबसाइट के सर्कुलेशन का आंकड़ा उपलब्ध नहीं कराया गया. अखबार भले ही कहीं और से छपने लगा हो, लेकिन इमारत में कम से कम उसकी संपादकीय गतिविधियां होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था.