नई दिल्ली: संत से सांसद और सांसद से सीएम... योगी आदित्यनाथ का ये सफर तो आप जानते हैं लेकिन आज आपको उनसे जुड़ा अनछुआ पहलू बताते हैं. योगी आदित्यनाथ पांच साल पत्रकारिता भी कर चुके हैं. गोरखपुर से योगी एक साप्ताहिक अखबार चलाते रहे जिसके प्रधान संपादक रहते उन्होंने ज्वलंत मुद्दों पर संपादकीय भी लिखा.


योगी आदित्यनाथ जिस अखबार के संपादक थे उसका नाम 'हिंदवी' है. ये अखबार आज से दस साल पहले शुरू हुआ था और पांच सालों तक पढ़ा गया. यहां बता दें कि अखबार में संपादकीय किसी मुद्दे पर अखबार की राय होती है जिसे संपादक खुद लिखते हैं.


हिन्दवी के पूर्व संपादक डा. प्रदीप राव ने बताया, ''योगी आदित्यनात संपादकीय स्वंय लिखते थे. उस पर उनके दस्तखत होते थे, पूरा समाचार पत्र फाइनल होता था. अखबार शाम को योगी जी को दिया जाता था. रात भर वे अखबार देखते थे और सुबह में ये छपने जाता था.''


मुख्यमंत्री बनने से पहले पांच बार सासंद चुने गए योगी इलाके की हर छोटी-बड़ी घटनाओं और शहर से लेकर गांव-कस्बों तक रोज घूमा करते थे. इसलिए जो खबरें मीडिया में नहीं आ पाती थीं उन मुद्दों को उठाने के लिए योगी ने साल 2007 में हिंदवी साप्ताहिक अखबार शुरू किया.


16 पेज का अखबार हर हफ्ते सोमवार को बाजार में आता था. शुरू में पांच हजार प्रतियां छपती थीं जो 15 हजार तक बढ़ गई थीं. योगी न सिर्फ अखबार के पन्नों के लिए खबरों की प्लानिंग करते थे बल्कि संवाददाताओं को स्टोरी के लिए तरीके भी बताते थे.


इस अखबार में पूर्वांचल से लेकर नेपाल और देश-विदेश के ज्वलंत मुद्दों पर खबरें और लेख प्रकाशित होते थे. अखबार का दफ्तर पहले मंदिर परिसर में ही था, बाद में हिंदू युवा वाहिनी के कार्यालय में शिफ्ट हो गया. हालांकि योगी आदित्यनाथ की व्यस्तताओं की वजह से पांच साल बाद अखबार बंद हो गया.