नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना के हालातों को लेकर हाई कोर्ट में चल रही सुनवाई का सोमवार को तेरहवां दिन था. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्रालय से जो मदद मांगी है, उस पर केंद्र सरकार का क्या रुख है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को उसके कोटे की ऑक्सीजन देने का आदेश दिया है, उस पर केंद्र ने क्या किया? इस बीच हाइ कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के मुद्दे पर जो आदेश दिया है, उस आदेश पर अमल हो रहा है या नहीं, यह देखना हाई कोर्ट का काम है. इस वजह से हाई कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई जारी रखेगी.


वकीलों के लिए अस्पताल में सुविधा के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के रमेश गुप्ता ने कोर्ट को बताया कि द्वारका का रॉकलैंड अस्पताल खाली है और वह वकीलों को इलाज देने के लिए तैयार है.


दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह इस अस्पताल को अपने अधीन ले. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह सरकार से इस बारे में बात कर कोर्ट को जानकारी देंगे. रॉकलैंड अस्पताल ने कोर्ट से कहा था कि वह अपने अस्पताल की चाबी इस्तेमाल के लिए सरकार को देने को तैयार है, पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉक्टर की उपलब्धता की बात कर रहा है. 


जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रॉकलैंड अस्पताल के पास 77 बेड और 6 आईसीयू हैं. फिलहाल बंद पड़े इस अस्पताल की चाबी बार कौंसिल ऑफ़ दिल्ली के चेयरमैन रमेश गुप्ता के हवाले की जा रही है, वहां पर जाकर स्थिति का जायजा लेकर जरूरत के हिसाब से उसको शुरू करवाएंगे. इस मामले पर अगली सुनवाई 6 मई को की जाएगी.


दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई कि ऑक्सीजन की सप्लाई मैनेजमेंट का काम सेना को दे देना चाहिए. याचिका पर सुनवाई के दौरान दलील दी गई कि हम सिर्फ एक ऐसा रास्ता चाहते हैं, जिससे कि लोगों की जान को बचाया जा सके. कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने यह बात पहले भी आ चुकी है और हमने राज्य सरकार से कहा है कि वह इस ओर कार्रवाई करे. इस बीच दिल्ली सरकार के वकील ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को लिखी गई चिट्ठी कोर्ट में पढ़कर सुनाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट से अपील की गई क्योंकि अब दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्री को चिट्ठी लिख दी है लिहाजा केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह इस चिट्ठी पर जल्द फैसला ले. 


इस बीच कोर्ट से अपील की गई कि कोर्ट दिल्ली सरकार को निर्देश दे कि वह दिल्ली में सेना की लोकल कमांडर को चिट्ठी लिखकर मदद मांगे. कोर्ट से भी मांग की गई कि कोर्ट केंद्र को निर्देश दे कि वह ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार करे, जिससे की जरूरत के हिसाब से राज्यों को मुहैया कराया जा सके. इसी दौरान दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कल रात जारी किए गए आदेश को हाई कोर्ट के सामने रखा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली को अगर 976 मेट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है तो ज़रूरत के हिसाब से वह मांग पूरी की जाए. इतना ही नहीं मांग अगर 1500 MT की भी हो तो वह मांग भी पूरी की जाए. जिसके बाद कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि आखिर क्या उन्होंने 976 मेट्रिक टन का कोटा दिल्ली के लिए तय कर दिया है या नहीं?



दिल्ली सरकार के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में बफर स्टॉक बनाने की बात भी कही गई है, बात ट्रांसपोर्टेशन की जाए तो वह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी होगी केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को बता सकता है कि उसको दिल्ली सरकार से क्या सहयोग चाहिए दिल्ली सरकार उसके लिए तैयार है. 


केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि ऑक्सीजन से जुड़े हुए कई मसलों पर सुप्रीम कोर्ट आदेश दे चुकी है, लिहाज़ा अब ऑक्सीजन से जुड़े हुए मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के सामने ही चलनी चाहिए जिस पर हाईकोर्ट ने कहा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में बेडों की कमी के मुद्दे पर फिलहाल कोई आदेश नहीं दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है हमको यह भी देखना होगा कि उस पर अमल हो रहा है या नहीं. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि आप हमें यह नहीं बताइए कि हम ऑक्सीजन के मामले में आप से जवाब मांग सकते हैं या नहीं!! कोर्ट ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो. 


दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द हाईकोर्ट को बताएं कि दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने रक्षा मंत्री को जो चिट्ठी लिखी है उस पर केंद्र सरकार का क्या पक्ष है. कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली सरकार ने रक्षा मंत्रालय से चिट्ठी लिखकर जिस सहयोग की मांग की थी उस पर क्या हुआ? केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि रक्षा मंत्रालय से इस बारे में बात की जा रही है जैसे ही कोई जवाब मिलेगा कोर्ट को बताएंगे. केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जो चिट्ठी लिखी है उस मामले को खुद रक्षा मंत्री के स्तर पर देखा जा रहा है जैसे ही कोई जानकारी मिलेगी कोर्ट को बताएंगे. 


हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट को जानकारी दी कि मैक्स अस्पताल के करीब 3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कस्टम के पास क्लीयरेंस के लिए फंसे हुए हैं. इस जानकारी के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा आखिर ऐसे कितनी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर हैं जो कस्टम के पास रुके हुए हैं. केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि जल्द से जल्द कस्टम के पास कोई भी सामान ऐसा हुआ है तो उसको निकाला जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि हम इस वजह से ( सामान कस्टम के पास फंसे होने के चलते) और जान को नहीं गंवा सकते. 


दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने कोर्ट के सामने दलील देते हुए कहा की अधिकांश नर्सिंग होम को ऑक्सीजन आवंटन से बाहर रखा गया है. जिनकी कुल क्षमता 8000 बेड की है. अगर बड़े हॉस्पिटल पर ध्यान देने के साथ ही इन छोटे नर्सिंग होम पर ध्यान दिया जाए तो दिक्कत कम की जा सकती है. प्राइवेट नर्सिंग होम की दिक्कत बताते हुए वकील ने दलील दी कि अगर इन 8000 बेटों को शामिल कर लिया जाए तो इससे बड़े पैमाने पर लोगों को इलाज में सुविधा मिलेगी.  कोर्ट ने भी टिप्पणी करते हुए कहा कि फिलहाल मौजूदा हालातों में जब ऑक्सीजन की पहले से ही दिक्कत है नया अस्पतालों को इसमें शामिल करना उचित नहीं रहेगा इसे और ज्यादा दुविधा बढ़ेगी. दिल्ली सरकार ने कहा कि फिलहाल हम 15000 नए कोविड बेड और 1200 आईसीयू बेड तैयार करने की ओर बढ़ रहे हैं. नर्सिंग होम में बैठ खाली होने और दबाव की कीमत का मुद्दा उठाने वाले वकील नई दिल्ली लेते हुए कहा कि हमको आने वाले दो-तीन हफ्तों के बारे में सोचना होगा अगर हम पहले से तैयारी करेंगे तो बेहतर स्थिति में होंगे.


दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि अगर हमको 700MT से लेकर 900MT तक ऑक्सीजन मिल जाती है तो लगभग सभी अस्पतालों की दिक्कत कम हो जाएगी और हालात में सुधार हो सकता है. लेकिन फिलहाल मौजूदा हालात में जब पहले से ही ऑक्सीजन कितनी किल्लत है हम 100 और अस्पतालों की जिम्मेदारी नहीं ले सकते.


सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल ज्यादा ध्यान रेमिडीसीवीर की कमी पर दिया जा रहा है जबकि हकीकत यह है कि पैरासिटामोल और मेफ्टाल ऐसी दवाइयों की भी काफी दिक्कत हो रही है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि जिस नाम की दवाई आपको चाहिए अगर वह क्लब नहीं है तो उसका कोई विकल्प भी मार्केट में नहीं है अलग-अलग कंपनी अलग-अलग नामों से वही दवाई बनाती हैं लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.



 इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट में इस बात पर चर्चा हुई कि क्या सीएनजी सिलेंडर का इस्तेमाल ऑक्सीजन सिलेंडर के तौर पर किया जा सकता है जिस पर दिल्ली सरकार की दलील थी कि ऐसा मुमकिन नहीं है जबकि आईआईटी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसा मुमकिन है. कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया कुछ अस्पताल उसका इस्तेमाल कर रहे हैं.


इसी दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कोर्ट को बताया की अगर अस्पताल के बेड की बात करें तो कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपने पोर्टल में जो बदलाव करने का सुझाव दिया था जिसमें कोविड बेड में कितने ऑक्सीजन वाले हैं और कितने नॉन ऑक्सीजन वाले यह जानकारी देने को कहा था वह बदलाव फिलहाल अभी तक लागू नहीं हुआ है.


दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि फिलहाल सरकार इस ओर काम कर रही है कि 72 घंटे पहले ही अस्पतालों की मांग का ब्यौरा ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को सौंप दिया जाए जिससे की आखिरी वक्त पर होने वाली दिक्कतों से बचा जा सके. दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा लेकिन फिलहाल आपको यह जरूर तय करना होगा कि किस अस्पताल को कम से कम कितनी ऑक्सीजन मिल सकती है जिससे कि अस्पताल भी अपने यहां उसी हिसाब से बेड को तैयार करें.


दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट के सलाहकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर फिलहाल अगले 2 दिनों के अंदर केंद्र सरकार को दिल्ली के लिए 50 मेट्रिक टन बफर ऑक्सीजन तैयार रखना होगा.


दिल्ली सरकार की तरफ से पेश जो रहे वकील ने कहा कि हम को अगले कुछ दिनों के दौरान दिल्ली को 976MT ऑक्सीजन की जरूरत होगी. जिस पर कोर्ट ने कहा कि 976 मेट्रिक टन की बात तब होगी जब एक बार सारे बैड तैयार हो जाएंगे. दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि 5000 बैड तैयार है लेकिन बिना ऑक्सीजन वह किसी काम के नहीं. जिस पर कोर्ट ने कहा कि अगर यह बेड तैयार है तो आप कोर्ट को लिखित में जानकारी दीजिए हम केंद्र सरकार को निर्देश देंगे.


कोर्ट के सलाहकार ने सुझाव देते हुए कहा कि फिलहाल अस्पताल दिन भर में 4 बार ऑक्सीजन की उपलब्धता और जरूरत के बारे में जानकारी अधिकारी और सप्लायर को दें. जिससे कि तय वक्त पर ऑक्सीजन की सप्लाई पहुंच सके. इस बीच गोयल गैस ने कोर्ट को बताया कि बत्रा अस्पताल में शनिवार वाले दिन उसके टैंकर को अपने कब्जे में ले लिया था और 5MTअतिरिक्त गैस की मांग कर रहे थे जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह सब नहीं होना चाहिए.


दिल्ली हाई कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान गैस सप्लाई करने वाली कंपनी आईनॉक्स ने कोर्ट को बताया कि 15 मेट्रिक टन के एक टैंकर को भरने में करीब 2.5 घंटे का वक्त लगता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि प्लांट पर जब एक टैंकर भरा होता है तो बाकी राज्यों के टैंकर को उस समय इंतजार करना होता है. दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि इस वक्त हम 33 टैंकर्स को मॉनिटर कर रहे हैं लेकिन वह सभी टैंकर अभी अलग-अलग जगहों पर खड़े हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से कहा कि आप हर एक टैंकर में जीपीएस लगाइए जिससे कि पता चलता है कि वह कहां खड़े हैं और कितनी देर से खड़े हैं.


दिल्ली हाईकोर्ट के सलाहकार ने बताया कि फिलहाल दिल्ली के आसपास के जो रिफिलिंग प्लांट हैं वह मौजूदा तरह के हालातों को देखते हुए पूरी तरह तैयार नहीं कहे जा सकते. दिल्ली सरकार के वकील ने बताया कि 2 दिन पहले केंद्र सरकार ने 100 मेट्रिक टन और ऑक्सीजन देने की बात कही है लेकिन यह झारसुगुडा और कलिंग नगर से मिलनी है. दिल्ली सरकार ने कहा कि अगर हमको प्लांट से एक बार में 200 से 300 मीटिंग तन ऑक्सीजन मिल जाए तो हमको अस्पताल की जरूरत के हिसाब से प्लान करने में ज्यादा आसानी रहेगी लेकिन अगर 15-20 मेट्रिक 10 मिलती रहेगी तो उससे ही समस्या दूर होने वाली नहीं.


दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो ऑक्सीजन देने का आदेश दिया था उस पर क्या हो रहा है केंद्र सरकार ने कहा कि जितना मुमकिन हो रहा है हम कोशिश कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इस बीच ऐसी जानकारी मिली है कि अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम कर दी है यह तो जनता के लिए भी नुकसानदायक है.


दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि मौजूदा हालातों में सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं अगर दिल्ली सरकार को 700 MT ऑक्सीजन की सप्लाई मिलने लगे. इस बीच दिल्ली सरकार ने कोर्ट को जानकारी दी कि तीसरा ऑक्सीजन प्लांट जो अस्पताल परिसर में लगाया गया था वह भी शुरू हो गया है, चौथे प्लांट को शुरू करने के लिए एक बार फिर से टेक्नीशियन की आवश्यकता होगी जो फिलहाल अभी कहीं और प्लांट सेट करने में व्यस्त हैं.


अब इस मामले की सुनवाई मंगलवार को भी जारी रहेगी. जब लगातार चल रही सुनवाई का चौदहवां दिन होगा.