न्यायमूर्ति आर एम बोर्डे और राजेश केतकर की खंडपीठ ने कहा कि टैटू याचिकाकर्ता के अधिकारिक कर्तव्यों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और जैसा कि वह अन्य सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करता है, सीआईएसएफ अधिकारियों को उसके लिए अपने नियमों में संसोधन करना चाहिए.
टैटू को एक धार्मिक प्रतीक भी बताते हुए पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता श्रीधर पखारे की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए. पखारे ने सीआईएसएफ में कांस्टेबल सह चालक के पद के लिए आवेदन किया था.