मुफ्त पानी देने का क्या है आधार, HC ने केजरीवाल सरकार के फैसले पर उठाए सवाल
आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में दिल्ली को लोगों को मुफ्त पानी देने का वादा किया था.
नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के सबसे बड़े फैसले पर ही हाईकोर्ट ने सवाल उठा दिए हैं. दिल्ली हाईकोर्ट ने उस फैसले पर सवाल उठाए हैं जिसको लेकर दिल्ली सरकार लगातार अपनी पीठ थपथपाती रहती है. कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के 20 हज़ार लीटर मुफ्त पानी दिए जाने के फैसले को कटघरे में खड़ा किया है.
कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में पानी की किल्लत से जुड़े एक मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली सरकार की 20 हज़ार लीटर तक मुफ्त पानी देने की योजना पर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, "इस योजना के तहत उन लोगों को भी मुफ्त पानी दिया जा रहा है जो पानी का पैसा दे भी सकते हैं. इनमें से कई ऐसे भी हैं जिन्होंने अवैध निर्माण तक कर रखा है. इसके बावजूद उनको मुफ्त में पानी दिया जा रहा है."
क्या कहा कोर्ट ने
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, "मुफ्त में किसी को कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए. भले ही एक पैसा या 10 पैसा कुछ भी लिया जाए लेकिन मुफ्त नहीं दिया जाना चाहिए. यह बात सिर्फ मुफ्त देने की नहीं बल्कि मुफ्त उन लोगों को दिया जा रहा है जो लोग उसकी कीमत अदा भी कर सकते हैं. यही अगर गरीब तबके के लोगों को दिया जा रहा होता तो फिर भी एक बार विचार किया जा सकता था."
आप के घोषणापत्र में किया था एलान
आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में दिल्ली को लोगों को मुफ्त पानी देने का वादा किया था. सरकार बनने के कुछ ही दिनों के अंदर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उस फैसले पर अमल करते हुए प्रति महीने 20 हज़ार लीटर तक पानी मुफ्त देने की बात कही थी.
क्या है दिल्ली जल बोर्ड की दलील
दिल्ली हाइकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान भी दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से दलील देते हुए कहा गया राज्य सरकार की इस योजना से लोगों में पानी का कम इस्तेमाल को बढ़ावा मिल रहा है. क्योंकि इससे लोग कोशिश करते हैं कि 20 हज़ार लीटर से कम पानी का इस्तेमाल किया जाए जिससे कि उनको पानी मुफ्त मिल सके. क्योंकि जैसे ही पानी का इस्तेमाल 20 हज़ार लीटर से ज्यादा होता है उपभोक्ताओं को इस्तेमाल किए गए पूरे पानी का पैसा देना पड़ता है.