नई दिल्ली: एमसीडी कर्मचारियों को सैलरी और पेंशन तय वक्त पर ना मिल पाने के मुद्दे पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन देने के लिए पैसे हैं, लेकिन निगम को देने के लिए नहीं. कोर्ट ने ये बात उत्तरी नगर निगम की तरफ से दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए कही, जिसमें उत्तरी दिल्ली नगर निगम ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार उसको उसके हक का पूरा पैसा नहीं दे रही और इस वजह से वह कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रही.


हाई कोर्ट ने तीनों नगर निगमों को 5 अप्रैल तक सभी निगम कर्मचारियों को तनख्वाह देने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक कुछ कर्मचारियों को जनवरी और कुछ को फरवरी तक की ही तनख्वाह दी गई है. ऐसे में कोर्ट ने आज आदेश दिया है कि आज ही सभी सफाई कर्मचारियों को मार्च तक का वेतन तुरंत दिया जाए. कोर्ट ने सभी एमसीडी को कहा कि अब आगे तनख्वाह देने के लिए मियाद और नहीं बढ़ाई जा सकती. कोर्ट ने इन्हीं टिप्पणियों के साथ उत्तरी दिल्ली नगर निगम की याचिका को खारिज कर दिया.


यह मामला पिछले कई महीनों से दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित चला आ रहा है क्योंकि एमसीडी आरोप लगाती है कि दिल्ली सरकार उसके हक का पैसा उसको नहीं दे रही जिसकी वजह से नगर निगम अपने कर्मचारियों को उनकी तनख्वाह और पेंशन का पैसा है वक्त पर नहीं दे पा रही. हालांकि दिल्ली सरकार की दलील रही है कि वह एमसीडी को उसके हाथ का पूरा पैसा देती रही है जो कि एमसीडी ही उस पैसे का हिसाब किताब दिल्ली सरकार को नहीं दे रही.


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