Delimitation: शिमला नगर निगम (Shimla Municipal Corporation) में वार्डों के डिलिमिटेशन (Delimitation) और आरक्षण रोस्टर (Reservation Roster) को लेकर हाईकोर्ट (High Court) ने फैसला सुना दिया है. जिसको राज्य सरकार (State Government) और जिला प्रशासन (District Administration) के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है. कांग्रेस (Congress) की नाभा वार्ड से पार्षद सिमी नंदा ने परिसीमन और आरक्षण रोस्टर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने प्रार्थी के आरोप को सही पाया है. कोर्ट ने नाभा (Nabha) वार्ड व समरहिल (Summerhil) दो वार्डो का दोबारा से डिलिमिटेशन करने के आदेश दिए है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद नगर निगम शिमला में तय समय पर चुनाव की उम्मीदें खत्म हो गई है. क्योंकि शिमला एमसी के मौजूदा पार्षदों का 5 साल का कार्यकाल 18 जून को पूरा हो रहा है. इस लिहाज से राज्य निर्वाचन आयोग को 18 जून 2022 से पहले चुनाव संपन्न करवाने थे, लेकिन मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से निर्वाचन आयोग चुनाव नहीं करवा सका.
हिमाचल हाई कोर्ट का आदेश
राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता अजीत सकलानी ने बताया की नाभा की पार्षद सिमी नंदा ने हिमाचल उच्च न्यायालय में डिलिमिटेशन व आरक्षण रोस्टर में अपतियों को लेकर याचिका दायर की थी. क्योंकि शिमला नगर निगम वार्डों का डिलिमिटेशन कर संख्या 34 वार्डों से बढाकर 41 वार्ड कर दी गई है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने 13 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया है. जिसका आज फैसला आ गया है. जिसके मुताबिक शिमला के दो वार्डो नाभा व समरहिल का दोबारा सेडिलिमिटेशन करने के आदेश दिए है जबकि आरक्षण को लेकर कोर्ट ने दखल देने से साफ इंकार किया है.
18 जून तक नगर निगम शिमला के चुनाव सम्पन करवाना ज़रूरी था
चुनाव (Election) की अनुसूची जारी करने के पहले मतदाता सूची (Voter List) फाइनल करने के लिए कम से कम 28 से 30 दिन का वक़्त चाहिए होता है. उसके बाद नामांकन भरने (Nomination File) और इलेक्शन कैंपेन (Election Campaign) के लिए भी कम से कम दो सप्ताह तक का वक्त देना होता है. ऐसे में अब चुनाव (Election) में देरी होगी व नगर निगम शिमला में में एडमिस्ट्रेटर लगना तय है. यानी सरकार (Government) MC आयुक्त को शक्तियां दे देगी और जब तक चुनाव नहीं हो जाते हैं.