नई दिल्ली: जबलपुर हाईकोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम के खिलाफ भोपाल में चल रहे डबल मर्डर के प्रोटेक्शन वारंट को स्टे कर दिया है. इस स्टे के बाद सलेम के इस मामले में भोपाल आने और इस प्रकरण के चलने की संभावना भी खत्म हो गई है.
जबलपुर हाईकोर्ट ने कहा है कि पुर्तगाल से भारत लाए गए अबू सलेम की प्रत्यर्पण संधि में भोपाल का अकबर नफीस हत्याकांड शामिल नहीं था. भोपाल की एडीजे कोर्ट ने यह वारंट 15 जनवरी 2014 को जारी किया था, उस वक्त मुंबई की टाडा कोर्ट ने भी इस वारंट पर सलेम को भोपाल कोर्ट में पेश करने की अनुमति नहीं दी थी. अधिवक्ता आलोक बागरेचा ने बताया कि अबू सलेम ने भोपाल में पुलिस की तरफ से दसवां अपराधिक मामला दर्ज किए जाने और जिला न्यायालय की तरफ से उसके खिलाफ प्रोटेक्शन वारंट जारी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट जबलपुर में याचिका दायर की गई थी.
याचिका में कहा गया था कि प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, उसके खिलाफ सिर्फ नौ आपराधिक मामले ही भारत में चल सकते हैं. दसवां मामला दर्ज किया जाना प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन है. बागरेचा के मुताबिक, न्यायाधीश विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने अपने विस्तृत फैसले में भोपाल जिला न्यायालय की तरफ से याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी प्रोटेक्शन वारंट को निरस्त कर दिया है.
अबू सलेम की तरफ से याचिका वर्ष 2014 में दायर की गई थी, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2003 में प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे पुतर्गाल से भारत लाया गया था और उसके खिलाफ 9 आपराधिक मामले भारत में चलाए जाने थे. याचिका में कहा गया है कि भोपाल पुलिस ने प्रत्यर्पण संधि का उल्लंघन करते हुए उसके खिलाफ हत्या और षड्यंत्र का दसवां आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है, जो दोनों देशों के बीच तय हुई प्रत्यर्पण शर्तो का खुला उल्लंघन है और अवैधानिक भी.
याचिका में कहा गया है कि प्रत्यर्पण शर्तो के अनुसार, उसके खिलाफ मुंबई में दो, दिल्ली में चार और सीबीआई की तरफ से तीन आपराधिक मामले चलाए जाने थे. भोपाल के परवलिया सड़क पुलिस थाने में साल 2002 में दर्ज हत्या के मामले में उसे आरोपी बनाया गया. भोपाल जिला न्यायालय ने उसके खिलाफ 15 जनवरी को प्रोटेक्शन वारंट जारी किया था.
क्या है कहानी
भोपाल में जून 2001 में पुलिस ने दो युवकों की लाश बरामद की थी. भोपाल के ग्रामीण क्षेत्र परवलिया के झिरनिया में मिली इन लाशों की पहचान अकबर और नफीस नामक युवकों के रूप में की गई थी. उस वक्त भोपाल क्राइम ब्रांच ने मामले की जांच की थी और ये दावा किया था कि इन दोनों शूटर्स को सलेम ने भोपाल भेजा था. इनको सिराज नामक युवक की हत्या करने की सुपारी दी गई थी. सलेम को शक था कि उसके खिलाफ सिराज ने मुखबिरी की थी.
इस बीच जब सिराज के ऊपर हमला नहीं हुआ तो उसे ये शक हुआ कि सूटर्स अकबर और नफीस भी सिराज से मिल गए हैं. जब अकबर-नफीस की लाश बरामद हुई तो इस मामले में सलेम और उसके साथियों उत्तर प्रदेश के सीपी राय, इम्तियाज और सादिक को आरोपी बनाया था. उस वक्त सलेम पुर्तगाल में ही था. सिराज पर ही अबू सलेम और मोनिका बेदी का भोपाल में फर्जी डाक्यूमेंट से पासपोर्ट बनवाने का आरोप था. बाद में सिराज सरकारी गवाह बन गया था.