रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने एक मामले में राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, जोनल आईजी, डीआईजी, लातेहार के एसपी, बरवाडीह के थाना प्रभारी और मामले के जांच अधिकारी को कोर्ट में हाजिर होने का अदेश दिया है. वारंट जारी होने के 15 साल बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी न होने पर मंगलवार को कोर्ट ने अधिकारियों को हाजिर होने का अदेश दिया था.


स्थायी वारंट जारी होने के 15 साल बाद भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं होने को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. मंगलवार को न्यायमूर्ति केपी देव की अदालत ने इसे पुलिस की लापरवाही माना और राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, जोनल आईजी, डीआईजी, लातेहार के एसपी, बरवाडीह के थाना प्रभारी और इस मामले के जांच अधिकारी को 14 सितंबर को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया है.


अदालत ने कहा कि इस मामले से पता चलता है कि पुलिस की कार्यशैली कितनी सुस्त है. स्थायी वारंट जारी होने के 15 साल तक आरोपी फरार है और पुलिस वारंट कोई कारवाई नहीं कर पा रही है. पुलिस विभाग को अपने अधिकारियों की इस करतूत से अवगत होना जरूरी है.


वर्ष 2003 में लातेहार के वनपाल मिथिलेश सिंह बेतला पार्क में अपनी टीम के साथ गश्ती पर निकले थे. उसी दौरान टीम पर फायरिंग की गई. इस मामले में बरवाडीह थाना में हरि सिंह और दशरथ सिंह पर प्राथमिकी दर्ज की गई. पुलिस ने हरि सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दूसरा आरोपि दशरथ सिंह फरार हो गया था. घटना के बाद पुलिस ने दशरथ सिंह के खिलाफ अदालत से स्थायी वारंट प्राप्त किया और आरोप पत्र दाखिल किया. सुनवाई के बाद हरि सिंह को निचली अदालत से सजा हो गयी. हरि सिंह ने इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.


मंगलवार को जस्टिस केपी देव की अदालत में हरि सिंह की अपील याचिका पर सुनवाई हुई, तब कोर्ट को पता चला कि दशरथ सिंह अभी तक पुलिस पकड़ से बाहर है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर कि और कहा कि स्थायी वारंट जारी होने के 15 साल बाद भी पुलिस वारंट पर कोई कारवाई क्यों नहीं करा सकी? यह गंभीर मामला है. इसे सहजता से नहीं लिया जा सकता. इसके बाद कोर्ट ने मामले से जुड़े सभी अधिकारियों को तलब किया.