नई दिल्ली: दिल्ली में बगैर हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट और कलर कोडेड स्टिकर वाले वाहनों का करीब 11,000 रुपए का चालान काटा जा रहा है. एक नियम का उल्लंघन करने का जुर्माना 5,500 रुपए है. इसे लेकर दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि ये फैसला दिल्ली सरकार का नहीं है बल्कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार का आदेश है और कानून का हिस्सा है.


वहीं बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के चालान हटाने को लेकर किये गये ट्वीट पर जवाब देते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि मैं मनोज तिवारी से यह प्रार्थना करना चाहूंगा कि थोड़ा गाना बजाना छोड़ कर मोटर-व्हीकल एक्ट भी पढ़ लें और जो सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है उसको भी पढ़ लें उसके बाद जो भी उनके सन्देह होंगे उसको हम दूर करने के लिए तैयार हैं.


'HSRP लगाने का फैसला दिल्ली सरकार का नहीं है'
HSRP और कलर कोडेड स्टिकर पर कैलाश गहलोत ने कहा, "मैंने पहले भी काफी बार अलग-अलग माध्यम से यह कहा है और फिर दोबारा से दिल्लीवासियों को यह स्पष्ट करना चाह रहा हूं की हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने का फैसला दिल्ली सरकार का नहीं है. यह 2011 के आसपास का सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है. 2018 का सुप्रीम कोर्ट का भी आर्डर है की हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट अगर 1 अप्रैल 2019 के बाद की कोई गाड़ी है तो फिर शोरूम से ही लग कर निकलेगी और उससे पहले की जो गाड़ी है उसमें मैन्युफैक्चर अपने डीलर्स के जरिए इन प्लेट्स को लगवायेगा. एक चीज बहुत स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार का इसमें बहुत ही सीमित रोल है क्योंकि यह केंद्र सरकार का आर्डर है. जहां तक बात एनफोर्समेंट की है तो जो चीज़ कानून का हिस्सा बन जाती है उसकी एनफोर्समेंट लगातार ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के द्वारा हम करते रहते हैं."


कैलाश गहलोत ने बताया, "करीब 3 महीने पहले इसका एनफोर्समेंट शुरू किया था तो पब्लिक की शिकायत आई थी, तब हमने इसको रोक दिया था. जो मैन्युफैक्चरर की बॉडी है उनको बुलाकर उनके सीनियर ऑफिसर को निर्देश दिए थे कि जब तक उनकी वेबसाइट ठीक नहीं हो जाती है, कस्टमर केयर का सिस्टम ठीक नहीं हो जाता और कोरोना का समय है तब तक इसे रोक दिया जाये. कोरोना के चलते होम डिलीवरी भी हमने शुरू कराई. जिन डीलर्स को अधिकृत किया था इनकी लगभग 150 के आसपास की लोकेशन थी, उसको बढ़ाकर 650 डीलर्स को अधिकृत कराया. यह सब कदम इसलिए उठाये गये कि पब्लिक को परेशानी ना हो. प्लेट किसको लगानी है, कैसे लगानी है यह सारी मैन्युफैक्चरर की ड्यूटी और जिम्मेदारी है."


चालान कब से शुरू किये गये इस सवाल के जवाब में कैलाश गहलोत ने कहा, "एनफोर्समेंट ड्राइव पूरा साल चलती रहती है. सुप्रीम कोर्ट हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के मामले को लगातार मॉनिटर कर रही है. ट्रांसपोर्ट विभाग की तरफ से दिल्ली सरकार के जो अधिकारी हैं उन्हें हलफनामा फाइल करना होता है, जिसमें बताना पड़ता है कि कितने चालान हुए कितने वाहन ऐसे हैं जिनमें हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं लगी. लगभग 3 महीने पहले की बात करें तो करीब 25 लाख वाहन ऐसे थे जिनमें HSRP नहीं थी. जो आदेश सुप्रीम कोर्ट से दिये गये हैं उसको पालन कराना दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का काम है."


'HSRP बुकिंग रसीद वालों का चालान नहीं होगा'
HSRP को लोगों के फायदे का बताते हुए परिवहन मंत्री में कहा, "मेरी दिल्ली वासियों से अपील है कि यह रजिस्ट्रेशन प्लेट आपके भी फायदे की बात है. अगर आपकी गाड़ी चोरी होती है तो उसमें जो फीचर्स हैं उससे कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता. और अगर करता है तो चाहे पुलिस डिपार्टमेंट का कोई व्यक्ति हो या ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट का वह पहचान लेगा कि गाड़ी की प्लेट से छेड़खानी की गई है. माननीय सुप्रीम कोर्ट का आदेश है और कानून का हिस्सा है तो जितनी जल्दी कंप्लायंस हो उतना अच्छा है. जितने भी ऐसे वाहन हैं जिसमें हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं है वह जल्द से जल्द बुकिंग करा कर लगवा लें. जिनके पास बुकिंग रसीद है तो हमने एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट को यह कहा है कि उनका चालान ना करें क्योंकि उसमें उनकी गलती नहीं है, उन्होंने पहले ही बुकिंग कर ली है. मेरी सब से यह अपील है कि अपनी गाड़ियों में जितना जल्दी हो सके हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगवा लें."


'मोटर-व्हीकल एक्ट में फाइन बढ़ाने से बढ़ी चालान की रकम'
HSRP और कलर कोडेड स्टिकर न होने पर भारी भरकम चालान की रकम को लेकर कैलाश गहलोत ने कहा, "मोटर-व्हीकल एक्ट में जब केंद्र सरकार ने फाइन बढ़ाया था उसी के बाद यह फाइन बढ़ा है. प्लेट का फाइन अलग है और कलर स्टीकर कोड का फाइन अलग है. अगर प्लेट भी नहीं है और स्टीकर भी नहीं है तो दोनों का 5,550 हजार मिलाकर कुल 11,000 रुपए का फाइन हो जाता है जो कि काफी ज्यादा है. परिवहन मंत्री होने के नाते मैं यही कहना चाहूंगा कि जितना जल्दी हो सकता है आप इसे लगवा लें. कलर कोडेड स्टिकर इसलिए है कि कभी प्रदूषण के चलते या ऑड-इवन है या कोई और ड्राइव चल रही है तो दूर से ही एनफोर्समेंट एजेंसी यह पहचान सके कि यह गाड़ी डीजल की है पेट्रोल है या सीएनजी. हर ईंधन की गाड़ी का कलर अलग है."


'HSRP लगाना मैन्युफैक्चरर की ज़िम्मेदारी है'
केंद्र सरकार के 2018 के नोटिफिकेशन का ज़िक्र करते हुए कैलाश गहलोत ने कहा, "2 दिसंबर 2018 का नोटिफिकेशन है उसमें साफ-साफ लिखा है कि हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट लगाने की जिम्मेदारी मैन्युफैक्चरर की है, 2019 के बाद की गाड़ियों की भी और 2019 से पहले की गाड़ियों की भी. दिल्ली सरकार की किसी भी प्रकार की कोई भी जिम्मेदारी इसमें नहीं है. लेकिन एक जिम्मेदार सरकार होने के नाते हम पब्लिक की को परेशान नहीं होने देना चाहते. उस परेशानी को देखते हुए ही हमने डीलर्स को बुलाकर आदेश दिया कि पब्लिक को परेशानी नहीं होनी चाहिए. लेकिन अगर आप यह कहे कि क्या हम से रोक सकते हैं? तो हम इसे नहीं रोक सकते. यह केंद्र सरकार का कानून है, मोटर व्हीकल एक्ट का हिस्सा है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश है."


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