कोरोना काल मे सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखना अहम है. ऐसे में दिल्ली एयरपोर्ट पर सोशल डिस्टेंसिंग सुचारू रूप से लागू कराने और यात्रियों का समय बचाने के लिये नया पैसेंजर ट्रैकिंग सिस्टम लगाया गया है. दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 पर इसे इंस्टॉल किया गया है जो कि सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी पर आधारित है. इस सिस्टम के ज़रिए एयरपोर्ट पर कोविड-19 को लेकर क्राउड मैनेजमेंट के साथ सोशल डिस्टेंसिंग को लागू करने और यात्रियों के इंतज़ार करने का समय भी बचेगा. दिल्ली एयरपोर्ट के CEO विदेह कुमार जयपुरियार के मुताबिक दिल्ली एयरपोर्ट, पहला एयरपोर्ट है जहां पर इसका इंप्लीमेंटेशन हुआ है.
11 लोकेशन पर इंस्टॉल किये गये 513 सेंसर डिवाइस
कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने और यात्री सुविधाओं का आंकलन करने के लिए टर्मिनल-3 पर 11 लोकेशन पर कुल 513 सेंसर डिवाइस लगाये गये हैं. ये सेंसर डिवाइस एयरपोर्ट पर सभी आठों गेट के अलावा चेक इन काउंटर, घरेलू और विदेशी सिक्योरिटी चेक एरिया, डिपार्चर टर्मिलन, इमीग्रेशन एरिया में लगाये गये हैं. इसके अलावा अराइवल गेट और भारतीय और विदेशी पासपोर्ट धारकों के लिए, दिल्ली हवाई अड्डे के डोमेस्टिक एयरपोर्ट से इंटरनेशनल एयरपोर्ट जाने वाले क्षेत्र में भी सेंसर लगाए गए है.
पैसेंजर ट्रैकिंग डिवाइस में 2 तरह के सेंसर हैं जो छत की ऊंचाई के हिसाब से इंस्टॉल किये जाते हैं. इसे एयरपोर्ट की छतों पर उन सभी जगह लगाया गया है जहां ज़्यादा संख्या में यात्री मौजूद होते हैं. इन सेंसर के जरिए यात्रियों की गिनती की जा सकेगी और उनको ट्रैक किया जाएगा.
भीड़ एकत्र होने पर लोकेशन को ट्रैक किया जायेगा
ये डिवाइस प्रत्येक यात्री के सिर को एक डॉट के रूप में दर्शाता है जिससे कंट्रोल रूम को पता चल जाता है कि किस एरिया में कितने लोग हैं और उनके बीच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो रहा है या नहीं. सोशल डिस्टेंसिंग न होने पर उसे फौरन सुनिश्चित कराया जाता है.
दिल्ली एयरपोर्ट के CEO विदेह कुमार जयपुरियार ने बताया कि यह टेक्नोलॉजी हर पैसेंजर को 1 पॉइंट की तरह ट्रीट करता है और पॉइंट की तरह ही काउंट करता है. यह एरिया स्पेसिफिक है. हमने पीपल डेंसिटी इंडेक्स सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स के हिसाब से तय की हुई है. अगर डेंसिटी ज्यादा है तो उसका अलार्म यह टर्मिनल ऑपरेशन टीम को देता है ताकि टीम वहां पहुंचकर पैसेंजर को अपील कर सके सोशल डिस्टेंसिंग बनाने के लिए.
क्यू मैनेजमेंट सिस्टम बतायेगा यात्रियों का वेटिंग टाइम
XovisPTS नाम का एक क्यू मैनेजमेंट सिस्टम लगाया गया है जिससे कंट्रोल रूम को ये भी पता चलता है कि किस ऑपरेशन पॉइंट पर यात्री कितनी देर से इंतज़ार कर रहे हैं .इसकी डिस्प्ले स्क्रीन एयरपोर्ट के अंदर पब्लिक एरिया में भी लगाई गई हैं. विदेह कुमार जयपुरियार के मुताबिक यह जो टेक्नोलॉजी है उसे पहले क्यू मैनेजमेंट के लिए लगाया था. जिससे पैसेंजर्स को कहां पर कितना इंतजार करना पड़ रहा है उसका हम आंकलन कर सकें. हमने कोरोना के बाद इसमें डेवलपमेंट कराया है जिससे अभी सोशल डिस्टेंसिंग में भी इस्तेमाल किया जा रहा है.
पैसेंजर फेसिंग स्टाफ को मिले फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा
कोरोना के समय एयरपोर्ट पर काम करने वाले स्टाफ में से यात्रियों के सीधे संपर्क में आने वाले वर्कर्स को भी वैक्सीनेशन की कतार में फ्रंटलाइन का दर्जा दिये जाने की मांग भी विदेह कुमार जयपुरियार ने की. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने सरकार से यह अनुरोध किया है कि एयरपोर्ट स्टाफ खासतौर पर जो पैसेंजर फेसिंग स्टाफ हैं उन्हें भी फ्रंटलाइन वर्कर माना जाये. मेरे हिसाब से सरकार उसका भी संज्ञान लेने वाली है, क्योंकि वो पैसेंजर के सीधे संपर्क में है. यहां हम सिर्फ उन लोगों की बात कर रहे हैं जो पैसेंजर से सीधे कांटेक्ट में हैं.
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