Supreme Court Hijab Case Hearing: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हिजाब मामले (Hijab Case) में 10 दिनों तक लंबी सुनवाई के बाद आज फैसला सुरक्षित रख लिया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, देवदत्त कामत और संजय हेगड़े सहित 20 से अधिक वकीलों ने दलीलें पेश कीं.


इसी के साथ आज जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक के महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी और राज्य के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज को सुना. याचिकाकर्ता पक्ष ने मंगलवार को अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं. आज की सुनवाई में मैक्सिको के राष्ट्रपति से लेकर गोकशी तक पर जिरह हुई. ट्रिपल तलाक पर जज ने सलमान खुर्शीद से सवाल भी पूछा. चलिए आपको पूरी सुनवाई 5 प्वाइंट्स में बताते हैं.


जस्टिस गुप्ता ने खुर्शीद से ट्रिपल तलाक पर पूछा सवाल


कोर्ट में जिरह के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि ​कुरान में ​गाय की बलि जैसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा, "इसी तरह शायरा बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि कुरान तीन तलाक की अनुमति नहीं देता है." इसी को लेकर न्यायमूर्ति गुप्ता ने सलमान खुर्शीद से पूछा तो फिर यह तर्क क्यों दिया गया कि तीन तलाक एक स्थापित प्रथा थी." खुर्शीद ने जवाब दिया, "कुछ लोगों ने तर्क दिया, मैं उस मामले में एक न्याय मित्र था. निर्णय न्यायमूर्ति जोसेफ के फैसले में अपना मूल पाता है जो कहता है कि कुरान में तीन तलाक को सही ठहराने वाला कुछ भी नहीं है."


जिरह में मैक्सिको के राष्ट्रपति का जिक्र


सलमान खुर्शीद ने कहा, "मेक्सिको के राष्ट्रपति सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं जा सकते थे, क्योंकि उनका मानना ​​है कि राज्य और धर्म के बीच सख्त अलगाव होना चाहिए. यह हर समाज में अलग हो सकता है."


'कुरान में लिखा हर शब्‍द धार्मिक हो सकता है, लेकिन..'


कर्नाटक के एडवोकेट जनरल ने 'एएस नारायण बनाम आंध्र प्रदेश राज्‍य मामले' को पढ़ते हुए कहा कि हिजाब धार्मिक परंपरा है. इसपर जस्टिस गुप्ता ने कहा क‍ि "दलील यह है कि कुरान में जो कुछ भी लिखा है, वह अनिवार्य और पवित्र है." नवदगी ने कहा कि हम कुरान में एक्‍सपर्ट नहीं हैं, लेकिन इस अदालत ने कम से कम तीन बार कहा है कि कुरान में लिखा हर शब्‍द धार्मिक हो सकता है लेकिन अनिवार्य नहीं है."


'हिजाब पहनने से दूसरे छात्र का अधिकार प्रभावित नहीं होता है'


वरिष्ठ वकीलों हुजैफा अहमदी, देवदत कामत और संजय हेगडे की दलील यह रही कि हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं, इस पर चर्चा जरूरी नहीं है. अगर इसे एक धार्मिक फ़र्ज़ की तरह मानते हुए लड़कियां यूनिफॉर्म के रंग का हिजाब अपने सर पर रखती हैं तो इससे किसी भी दूसरे छात्र का कोई अधिकार प्रभावित नहीं होता है इसलिए रोक लगाने का आदेश गलत है.


'सर्कुलर हिजाब को टारगेट कर रहा है'


अहमदी ने कहा कि सर्कुलर में यह नहीं कहा गया है कि किसी भी धार्मिक प्रतीकों की अनुमति नहीं है, बल्कि यह केवल सिर के स्कार्फ की बात करता है. इस पर न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा, "नहीं, यह केवल सर्कुलर की प्रस्तावना में है. आदेश का हिस्सा हिजाब के बारे में नहीं कहता है." हालांकि, अहमदी ने जवाब दिया कि सर्कुलर को पूरा पढ़ा जाना चाहिए. अहमदी ने कहा, "सर्कुलर यह नहीं कहता है कि आप खुले तौर पर क्रॉस या रुद्राक्ष नहीं पहन सकते. सर्कुलर केवल सिर पर स्कार्फ को टारगेट कर रहा है और केवल एक समुदाय इसे पहनता है.


16 अक्टूबर से पहले आ सकता है फैसला


गौरतलब है कि कर्नाटक हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. 10 दिन तक चली सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने हिजाब समर्थक याचिकाकर्ताओं के साथ कर्नाटक सरकार और कॉलेज शिक्षकों की भी दलीलों को सुना. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने वाली 2 जजों की बेंच के अध्यक्ष जस्टिस हेमंत गुप्ता 16 अक्टूबर को रिटायर होने वाले है. ऐसे में यह तय है कि 16 अक्टूबर से पहले मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाएगा.


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