Hijab Issue Malegaon: कर्नाटक के बाद अब हिजाब विवाद देश के दूसरे हिस्सों में भी देखा जा रहा है. महाराष्ट्र के मालेगांव में पुलिस ने जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के खिलाफ मामला दर्ज किया है. इसके अलावा एआईएमआईएम के स्थानीय विधायक मौलाना मुफ्ती इस्माइल के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है. दरअसल उलेमा-ए-हिंद के नेतृत्व में मालेगांव में महिलाओं ने प्रदर्शन किया. इसके बाद बुलढाणा, बीड और मालेगांव में धारा 144 लगाई गई है, जो अगले आदेश तक जारी रहेगी.


मंगलवार को ‘जमीयत-उलेमा-ए-हिंद’ के प्रमुख मौलानाओं की बैठक विधायक मौलाना मुफ्ती इस्माइल के नेतृत्व में हुई थी. इसी मीटिंग में यह फैसला किया गया. गुरुवार को महिला मिलन का एक कार्यक्रम रखा गया था. वहां हिजाब का समर्थन करने के लिए  हिजाब और बुरखाधारी महिलाओं को बुलाया गया था. मौलाना मुफ्ती ने यह भी जानकारी दी थी कि शुक्रवार को मालेगांव में ‘हिजाब दिन’ के तौर पर मनाया जाएगा. सभी महिलाएं उस दिन बुर्का पहनेंगी. उन्होंने कहा था कि भारत में हर धर्म को अपने रीति-रिवाजों के मुताबिक रहने की आजादी है. 


मुस्लिम छात्राएं अपने मजहब और रीति-रिवाजों के हिसाब से हिजाब पहन रही हैं. अपने जिस्म को पूरी तरह से ढककर चल रही हैं. इस विरोध की वजह क्या है? यह समझ से बाहर है. वहीं मेयर ताहिरा रशीद शेख ने प्रस्ताव दिया है कि मालेगांव में बने उर्दू घर का नाम कर्नाटक की हिजाब गर्ल मुस्कान खान पर रखा जाएगा. कर्नाटक में जय श्री राम के नारे लगाने वालों की भीड़ के बीच मुस्कान ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए थे. 


क्या है मामला


हिजाब विवाद की शुरुआत पिछले महीने उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कुछ छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज परिसर में जाने पर हुई थी, जिन्हें कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी. कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि जो छात्रा पहले बिना हिजाब के आती थीं, वे अब अचानक से हिजाब में आने लगी हैं. बाद में छात्राओं ने बिना हिजाब के कक्षाओं में जाने से इनकार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. यह मुद्दा एक विवाद बन गया और कर्नाटक के अन्य जिलों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी इस मुद्दे को उठाया जा रहा है. इसकी वजह से तनाव बना हुआ है और यहां तक कि हिंसा भी हो चुकी है.


हिजाब विवाद मामले की कर्नाटक हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए गुरुवार को आदेश दिया था कि अंतिम आदेश तक छात्रों के लिए किसी भी धार्मिक प्रतीक की अनुमति नहीं है. इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. मुख्य न्यायाधीश एन.वी.रमण ने शुक्रवार को हिजाब मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता के वकील से यह सोचने के लिए कहा कि क्या इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर लाना उचित है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट का आदेश अभी तक सामने नहीं आया है और इसे इस मुद्दे पर फैसला करने की अनुमति दी जानी चाहिए. मेहता ने जोर देकर कहा कि इस मामले को न तो धार्मिक बनाया जाना चाहिए और न ही राजनीतिक.


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