(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Exclusive: Hijab विवाद को लेकर केरल के राज्यपाल Arif Mohammad Khan ने किया इस खास वर्ग का जिक्र, बताया क्यों हो रहा बवाल
Arif Mohammad Khan: केरल के राज्यपाल ने कहा कि, जब मैंने इस्तीफा दिया था तो मुझे भी कहा गया था कि अगर मुसलमान गड्ढे में पड़े हैं तो पड़े रहने दो.
Hijab Row Kerala Governor: हिजाब विवाद (Hijab Row) को लेकर पूरे देशभर में चर्चा और बहस जारी है. कर्नाटक से शुरू हुआ ये विवाद भारत ही नहीं अब दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. इस विवाद को लेकर केरल के राज्यपाल और इस्लामिक स्कॉलर आरिफ मोहम्मद खान (Arif Mohammad Khan) ने एबीपी न्यूज के साथ खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने बताया कि आखिर इस्लाम में हिजाब को लेकर क्या कहा गया है.
दो वर्गों को हो रही सबसे ज्यादा तकलीफ
आरिफ मोहम्मद खान ने हिजाब विवाद पर कहा कि, इसका असली जवाब वही लोग दे सकते हैं जो ये सब कर रहे हैं. एक वर्ग है हमारे यहां जो आजादी के बाद से लेकर 1986 तक उनकी ये हैसियत थी कि वो 400 लोकसभा सदस्यों वाली सरकार को घुटनों के बल झुक जाने को मजबूर करते थे, हिंसा की भाषा बोलते थे, धमकी देते थे. पार्लियामेंट के बाहर आकर कहते थे कि जो एमपी हमारे साथ नहीं हैं उनकी टांगे तोड़ दो. दिल्ली में एक और वर्ग था, आज भी है... जो चुनाव नहीं लड़ते थे, लेकिन सरकार की पावरफुल समितियों में वो रहते थे. आज ये वर्ग पानी के बगैर मछली की तरह तड़प रहे हैं.
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शिक्षण संस्थान के अनुशासन का करना होगा पालन
केरल के राज्यपाल ने कहा कि, जब मैंने इस्तीफा दिया था तो मुझे भी कहा गया था कि अगर मुसलमान गड्ढे में पड़े हैं तो पड़े रहने दो. ये दूसरा वर्ग वो है, जिनकी अपनी बच्चियां हिजाब नहीं पहनती हैं. वो अच्छी स्कूलों में जाती हैं. लेकिन इस आंदोलन को वो समर्थन करेंगे, क्योंकि वो चाहते हैं कि मुसलमान गड्ढे में पड़े रहें. हिजाब को लेकर उन्होंने कहा कि, किसी भी सरकार ने ये नहीं कहा है कि क्या पहनो या क्या नहीं... लेकिन अगर आप किसी शिक्षण संस्थान में जाते हैं तो आप उसके अनुशासन को स्वीकार करते हैं.
आरिफ मोहम्मद ने कहा कि, ये विवाद नहीं बल्कि एक साजिश है. 2019 में तीन तलाक खत्म होने के बाद इस वर्ग का दबदबा महिलाओं से खत्म हो रहा है. उन्होंने कहा कि, मैं आजादी में यकीन करता हूं. बाहर किसी को भी क्या पहनना है उसका फैसला उसे खुद करना चाहिए. लेकिन शिक्षण संस्थान को ये अधिकारी है कि वो ड्रेस कोड बनाए. जिस तरह सरकार को ये अधिकार है कि, आईपीएस को ये ड्रेस पहनना होगा, मिलिट्री को ये ड्रेस पहनना होगा... उसी तरह ये भी है.