Himachal: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चार बार के विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज हिमाचल प्रदेश के 15वें मुख्यमंत्री तौर पर शपथ ग्रहण किया. इसके साथ ही कांग्रेस नेता मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इस शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. 


हिमाचल में जीत के बाद से ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर खींचतान चल रही थी. तमाम दिग्गज दावेदार रेस में थे. माना जा रहा था कि प्रतिभा सिंह को ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिलेगी. ऐसा इसलिए क्योंकि 40 साल से हिमाचल प्रदेश में होली लॉज यानी वीरभद्र परिवार का दबदबा है. लेकिन कांग्रेस हाई कमान ने तमाम अटकलों को विराम देते हुए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नाम पर मोहर लगा दी.


अब हम आपको ऐसी पांच वजहें बताते हैं जिस वजह से सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने तमाम दिग्गज दावेदार ढेर हो गए. 


पारिवारिक बैकग्राउंड 


सुखविंदर सिंह सुक्खू एक साधारण परिवार से आते हैं. इसके साथ ही उनका कोई गॉडफादर भी नहीं है. सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी पहचान खुद की बदौलत बनाई. सुखविंदर सिंह सुक्खू के पिता एक बस ड्राइवर थे. वहीं, सुक्खू अपने शुरुआती दिनों में शिमला में एक छोटा सा दूध काउंटर चलाते थे.


राजनीतिक करियर


अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के छात्र विंग एनएसयूआई से की. छात्र राजनीति के दौरान उन्होंने छात्रों के बीच अपनी जबर्दस्त पकड़ बनाई. उन्हें एक फायरब्रांड नेता के रूप में पहचान मिली. उसके बाद वह धीरे-धीरे एक मज़बूत युवा नेता के रूप में उभरे. इसी बीच सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 1988 में एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला .इसके बाद 1995 में उनको, युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव की कमान मिली. 


इस साल जीता था पहला विधानसभा चुनाव


बता दें कि सुक्खू ने एक दशक तक हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रमुख के पद पर कार्य किया. साल 2003 में, उन्होंने नादौन से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. 2007 में अपनी सीट बरकरार रखी. साल 2012 विधानसभा चुनाव में उनको पहली हार मिली. इसके बाद उन्होंने 2013 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद संभाला. वह क़रीब छह साल तक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. उन्हें 2017 और 2022 के विधानसभा में फिर से जीत मिली. आज वो हिमाचल में 15वें मुख्यमंत्री हैं.


40 साल का राजनीतिक करियर


गौरतलब है कि चार बार के विधायक सुक्खू, दो बार शिमला नगर निगम के प्रमुख के रूप में चुने गए. सुक्खू ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में अपनी सराकर और कांग्रेस के छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से टक्कर लेने में कोई संकोच नहीं किया. समय समय पर वे अलग-अलग मुद्दों पर सीधे कई बार टक्कर लेते रहते थे. 


राहुल गांधी से अच्छे सम्बन्ध 


हिमाचल प्रदेश में हमेशा से पहाड़ से आने वाले को ही मुख्यमंत्री बनाया गया है. सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर से ताल्लुक रखते हैं. ऐसे में पार्टी हाईकमान इस ट्रेंड को भी बदलने की कोशिश की. इन सब के अलावा सुक्खू के संबंध राहुल गांधी से बेहद घनिष्ठ बताए जाते हैं. इस चुनाव में उन्होंने प्रियंका गांधी का भरोसा जीतने का काम किया. 


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