Himachal Pradesh Politics: हिमाचल प्रदेश में बढ़ती ठंड के बीच सियासी पारा भी बढ़ता जा रहा है. पांच साल बाद सत्ता में वापस आने वाली कांग्रेस और सत्ता गंवाने वाली बीजेपी यहां लगातार एक दूसरे से टकरा रही हैं. अब नया विवाद यहां पूर्ववर्ती सरकार के खोले कार्यालयों को गैर अधिसूचित करने को लेकर शुरू हुआ है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश सरकार ने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार की ओर से ‘‘बिना किसी बजटीय प्रावधान और पर्याप्त बुनियादी ढांचे के खोले गए’’ संस्थानों और कार्यालयों को गैर अधिसूचित कर दिया है. इसी पर बीजेपी हमलावर हो गई है.  


पूर्व सीएम ने दी अदालत जाने की चेतावनी


नई सरकार की तरफ से ‘‘बिना किसी बजटीय प्रावधान और पर्याप्त कर्मचारियों और बुनियादी ढांचे के खोले गए सभी गैर-कार्यात्मक कार्यालयों और संस्थानों’’ के बंद किए जाने की घोषणा के बाद, पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस कदम को ‘‘तुगलकी फरमान’’ बताया और इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' और अनुचित' करार दिया. उन्होंने कहा, ''हिमाचल जैसे राज्य में स्वास्थ्य और शैक्षणिक संस्थान लोगों के घर के सबसे करीब होने चाहिए लेकिन कांग्रेस सरकार को लोगों की बेहतर सेवाएं पसंद नहीं हैं.'' उन्होंने कहा कि बीजेपी इस तरह के जनविरोधी कदमों को स्वीकार नहीं करेगी, विरोध करने के लिए सड़कों पर आएगी और जरूरत पड़ने पर अदालत भी जाएगी.


कांग्रेस के विधायकों ने बीजेपी का किया घेराव


वहीं, जयराम ठाकुर पर पलटवार करते हुए, कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह, नीरज नैयर और चंद्रशेखर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता पिछली सरकार की तरफ से अपने कार्यकाल के अंत में बिना किसी बजटीय प्रावधान के खोले गए कुछ संस्थानों को बंद करने के राज्य सरकार के फैसले पर अनावश्यक हो-हल्ला मचा रहे हैं. कांग्रेस विधायकों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ''ऐसा लगता है कि बीजेपी नेताओं ने हाल के विधानसभा चुनाव में करारी हार को अभी तक स्वीकार नहीं किया है.''


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